बुधवार, 18 मई 2011

एक आध्यात्मिक घटना!



आजकल परीक्षा परिणामों का सीज़न चल रहा है। रोज़ अख़बार में हवा में उछलती लड़कियों की तस्वीरें छपती हैं। नतीजों के ब्यौरे होते हैं, टॉपर्स के इंटरव्यू। तमाम तरह के सवाल पूछे जाते हैं। सफलता कैसे मिली, आगे की तैयारी क्या है और इस मौके पर आप राष्ट्र के नाम क्या संदेश देना चाहेंगे आदि-आदि। ये सब देख अक्सर मैं फ्लैशबैक में चला जाता हूं। याद आता है जब मेरा दसवीं का रिज़ल्ट आना था। अनिष्ट की आशंका में एक दिन पहले ही नाई से बदन की मालिश करवा ली थी। कान, शब्दकोश में न मिलने वाले शब्दों के प्रति खुद को तैयार कर चुके थे। तैंतीस फीसदी अंकों की मांग के साथ तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं को सवा रूपये की घूस दी जा चुकी थी और पड़ौसी, मेरे सार्वजिनक जुलूस की मंगल बेला का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे।

वहीं फेल होने का डर बुरी तरह से तन-मन में समा चुका था और उससे भी ज़्यादा साथियों के पास होने का। मैं नहीं चाहता था कि ये ज़िल्लत मुझे अकेले झेलनी पड़े। उनका साथ मैं किसी कीमत पर नहीं खोना चाहता था। उनके पास होने की कीमत पर तो कतई नहीं। दोस्तों से अलग होने का डर तो था ही मगर उससे कहीं ज़्यादा उन लड़कियों से बिछड़ जाने का था जिन्हें इम्प्रैस करने में मैंने सैंकड़ों पढ़ाई घंटों का निवेश किया था। असंख्य पैंतरों और सैंकड़ों फिल्मी तरकीबें आज़माने के बाद ‘कुछ एक’ संकेत भी देने लगी थीं कि वो पट सकती हैं। ये सोच कर ही मेरी रूह कांप जाती थी कि फेल हो गया तो क्या होगा! मेरे भविष्य का नहीं, मेरे प्रेम का! या यूं कहें कि मेरे प्रेम के भविष्य का!

कुल मिलाकर पिताजी के हाथों मेरी हड्डियां और प्रेमिका के हाथों दिल टूटने से बचाने की सारी ज़िम्मेदारी अब माध्यमिक शिक्षा बोर्ड पर आ गयी थी। इस बीच नतीजे आए। पिताजी ने तंज किया कि फोर्थ डिविज़न से ढूंढना शुरू करो! गुस्सा पी मैंने थर्ड डिविज़न से शुरूआत की। रोल नम्बर नहीं मिला तो तय हो गया कि कोई अनहोनी नहीं होगी! (फर्स्ट या सैकिंड डिविज़न की तो उम्मीद ही नहीं थी) पिताजी ने पूछा कि यहीं पिटोगे या गली में.....इससे पहले की मैं ‘पसंद’ बताता...फोन की घंटी बजी...दूसरी तरफ मित्र ने बताया कि मैं पास हो गया...मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था....पिताजी भी खुश थे...आगे चलकर मेरा पास होना हमारे इलाके में बड़ी 'आध्यात्मिक घटना' माना गया....जो लोग ईश्वर में विश्वास नहीं करते थे, वो करने लगे और जो करते थे, मेरे पास होने के बाद उनका ईश्वर से विश्वास उठ गया!

शुक्रवार, 6 मई 2011

“मैंने ओसामा जी नहीं, ओसामा जीजा जी कहा था!”

ओसामा बिन लादेन की मौत और उसके बाद आए दिग्विजय सिंह के बयान पर कुछ वनलाइनर लिखे हैं। आप इन वनलाइनर्स को फेसबुक के फ़ेकिंग न्यूज़ पेज (facebook.com/hindifakingnews) पर भी पढ़ सकते हैं। झेलिए

"भले ही ओसामा बिन लादेन हमारे बीच नहीं रहे मगर हमें उनके अधूरे काम को पूरा करना है"-दिग्विजय सिंह

ओसामा की पहचान के लिए अमेरिका अब उसका डीएनए टेस्ट करवाएगा मुझे डर है कि कहीं वो नारायण दत्त तिवारी का बेटा न निकले!

ओबामा की मौत का स्वागत करते हुए मनमोहन सिंह ने एक बार फिर से सोनिया गांधी के कुशल नेतृत्व की तारीफ की है!

अमेरिका का कहना है कि ओसामा की मौत का क्रेडिट महेंद्र सिंह धोनी को जाता है क्योंकि उसी के 'हैलीकॉप्टर शॉट' से अमेरिकी सेना ने प्रेरणा ली थी!

अफसोस...ओसामा अपनी वसीयत 2001 में लिख गए अगर 2011 में लिखी होती तो ऐबटाबाद की हवेली दिग्विजय सिंह के नाम कर देते#Osama ji

दिग्विजय सिंह का कहना है कि मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। मैंने ओसामा जी नहीं, ओसामा जीजा जी कहा था!

पाकिस्तान एक 'भाड़' प्रभावित देश है। अर्थव्यवस्था से लेकर राजनीति तक यहां हर चीज़ यहां भाड़ में जा रही है!

पाकिस्तान ने अपनी कुछ ज़मीन चीन को दे रखी है, कुछ तालिबान ने हथिया ली है और उसके मुताबिक कुछ पर इंडिया ने कब्ज़ा कर रखा है। जब उसे ये नहीं पता कि पाकिस्तान में पाकिस्तान कहां है.... तो ये कैसे पता होता कि ओसामा पाकिस्तान में है!

अमेरिकी सेना पर फेंकने के लिए दिग्विजय सिंह जल्द ही पाकिस्तानियों को अपनी अक्ल पर पड़ा पत्थर देंगे!

जो लोग कहते हैं कि हमें पाकिस्तान पर हमला कर उसे नष्ट कर देना चाहिए, वो उसे underestimate कर रहे हैं। मुझे पाकिस्तान की 'क्षमता' पर पूरा यकीन है। थोड़ा सब्र रखें... एक दिन वो खुद ही अपने आप को बर्बाद कर लेगा!

दिग्विजय सिंह का कहना है कि जब मुझ जैसा आदमी ज़िंदा घूम रहा है तो अफज़ल गुरू को फांसी क्यों दी जाए?

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान ठीक वैसे ही अमेरिका के साथ है जैसे वर्ल्ड कप में श्रीसंत इंडियन टीम के साथ थे!

पाकिस्तान करे भी तो क्या करे...तालिबान से उसका मन मिलता है और अमेरिका से उसे धन मिलता है!

पाकिस्तान का कहना है कि हमारी खुफिया एजेंसियां ओसामा को इसलिए नहीं पकड़ पाईं क्योकि उसे पकड़ने की ट्रेनिंग..... कामरान अकमल ने दी है!

दिग्विजय सिंह की सेवाओं से प्रभावित हो कर कांग्रेस आलाकमान ने पिक-ड्रॉप के लिए उन्हें पवन हंस हैलीकॉप्टर देने का फैसला किया है!

ओसामा बिन लादेन के डीएनए टेस्ट के बाद अमेरिकी खुफिया एजेंसी इस नतीजे पर पहुंची हैं कि वो दिग्विजय सिंह के बाप हैं!

Pigvijay Singh का कहना है कि इसमें मेरी कोई ग़लती नहीं है। कांग्रेस में रहकर मैंने 'जी हुज़ूरी' ही सीखी है इसलिए ओसामा के आगे भी 'जी' लगा बैठा

BREAKING NEWS:मारी गयी औरत, जिसके बारे में पहले कहा जा रहा था कि वो ओसामा की बीवी है दरअसल वो अरूंधति राय निकली!

क्या आप जानते हैं कि ओसामा का सबसे बड़ा बेटा ओसामा की सबसे छोटी बीवी से ग्यारह साल बड़ा था?

अमेरिकी अधिकारी-ख़बर लगी है कि सभी सरकारी इमारतों पर पाकिस्तानी झंडे आधे झुके हैं, क्या आप लोग ओसाम के मरने पर राजकीय शोक मना रहे हैं???? पाक अधिकारी-नहीं जनाब, हमने कुछ नहीं किया...शायद शर्मिंदगी में वो खुद-ब-खुद झुक गए हैं।

जिस तरह पाकिस्तान हर मामले में हिंदुस्तान पर इल्जा़म लगाता है। मुझे शक है कि कहीं वो ये न कह दे कि ओसामा पर हमला करने वाले हैलीकॉप्टर्स में से एक दोरजी खांडू का था!

Pigvijay Singh भारत के सबसे भरोसेमंद नेता हैं... क्योंकि वो ISI मार्का हैं!

बिन लादेन और मनमोहन सिंह में एक समानता तो है। मुसीबत आने पर दोनों ही औरत के पीछे छिपने में यकीन रखते हैं।

दिग्विजय सिंह की भौंकने की प्रवृत्ति को देखते हुए जल्द ही उनका BARKO TEST करवाया जाएगा!

इस रूप में पाकिस्तान सरकार और मनमोहन सिंह एक जैसे हैं कि दोनों को आख़िर तक कुछ भी पता नहीं रहता!

"बार-बार ये न कहो कि ओसामा दुनिया का नम्बर एक आतंकवादी था, मेरा 'इगो' हर्ट होता है"-Pigvijay Singh

ख़तरों का खिलाड़ी तो लादेन था ही, जब मारा गया तब भी दो बीवियों के साथ रह रहा था!

दिग्विजय सिंह का कहना है कि ओसामा की मौत के लिए अन्ना हज़ारे ज़िम्मेदार हैं। अन्ना की नकल करते हुए ओसामा भी अमेरिका के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठा और मारा गया!

ख़तरनाक आतंकवादी ही नहीं, ओसामा दुनिया के इकलौते इंसान भी थे जिसकी अमर सिंह से ज़्यादा सीडी मार्केट में आई थी !
प्रिंस चार्ल्स से ओबामा-आपकी बहू हमारे लिए बड़ी शुभ निकली!

"ज़्यादा खुश होने की ज़रूरत नहीं है, अभी मैं ज़िंदा हूं"-दिग्विजय सिंह