tag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post1086972166860815835..comments2024-03-01T02:07:26.107-08:00Comments on व्यंजना: एंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी चाहेगा!Neeraj Badhwarhttp://www.blogger.com/profile/15197054505521601188noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-57415759548130638532010-09-11T19:14:21.675-07:002010-09-11T19:14:21.675-07:00mazedar post neeraj bhaimazedar post neeraj bhaiवीरेंद्र रावलhttps://www.blogger.com/profile/09408103952722535771noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-9256171060421816222010-09-11T12:01:11.104-07:002010-09-11T12:01:11.104-07:00सुबह चाय की दुकान पर नवभारत टाईम्स पढ़ने को मिल गया...सुबह चाय की दुकान पर नवभारत टाईम्स पढ़ने को मिल गया था. सचमुच कितनी सधी धार है न, आपकी लेखनी की।Rajesh Ozahttps://www.blogger.com/profile/03990846541398209973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-40679134622444698132010-09-10T07:42:09.286-07:002010-09-10T07:42:09.286-07:00अच्छे शब्दों के लिए सभी का शुक्रिया...कुछ दोस्तों ...अच्छे शब्दों के लिए सभी का शुक्रिया...कुछ दोस्तों ने यहां भी अपनी राय दी हैhttp://nukkadh.blogspot.com/2010/09/blog-post_2592.html#commentsNeeraj Badhwarhttps://www.blogger.com/profile/15197054505521601188noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-47218651849615137832010-09-10T07:37:32.257-07:002010-09-10T07:37:32.257-07:00बहुत ही बढ़िया व्यंग्य लिखा है नीरज भाई...पढ़ कर आ...बहुत ही बढ़िया व्यंग्य लिखा है नीरज भाई...पढ़ कर आज तो सच में पेट का पानी हिल गया!SKThttps://www.blogger.com/profile/10729740101109115803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-76806825197757764112010-09-10T05:39:34.340-07:002010-09-10T05:39:34.340-07:00waah !waah !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-57600132013342385812010-09-10T04:57:13.439-07:002010-09-10T04:57:13.439-07:00सही कहा, लेकिन झगड़ों ने इतिहास रचा है। मानव आज तक...सही कहा, लेकिन झगड़ों ने इतिहास रचा है। मानव आज तक उन ऐतिहासिक झगड़ों का विश्लेषण कर युद्ध कला के नक्शे खींचकर उनका आनंद आज तक लेता है और आप लाइव देखने वालों को लताड़ रहे हो, उनकी हरकतों से हैरत में हो। मानवीय स्वभाव झगड़रस लेने का है, बदलेगा नहीं। हां युद्धों की परिणति के कमजोर होते जाने पर खेद जताया जा सकता है।मधुकर राजपूतhttps://www.blogger.com/profile/18175900220847414275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-62866877967216573622010-09-10T04:51:14.602-07:002010-09-10T04:51:14.602-07:00झगड़ों ने इतिहास रचा है। इंसान की फितरत रही है कि ...झगड़ों ने इतिहास रचा है। इंसान की फितरत रही है कि झगड़ों का विश्लेषण और उनकी युद्ध कला के नक्शे खींचकर वो झगड़ों के बाद भी उनका आनंद लेता रहता है। फिर आप तो लाइव देखने वालों को लताड़ रहे हो। मानवीय स्वभाव कैसे बदलेगा।मधुकर राजपूतhttps://www.blogger.com/profile/18175900220847414275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-35725850291794041242010-09-10T04:49:25.774-07:002010-09-10T04:49:25.774-07:00एक नुक्कड़ नुमा ब्लॉग में आपने, आपकी ही रचना, अपने ...एक नुक्कड़ नुमा ब्लॉग में आपने, आपकी ही रचना, अपने ही नाम से, ठीक इसी समय छपवा मारी है. ज्यादा फुर्सत हो तो अपने आप पर ही कॉपीराईट का मुकदमा दायर कर दोनों तरफ से खुद की लड़ मरे. समय भी अच्छा कटेगा और नया अनुभव भी प्राप्त होगा...Majaalhttps://www.blogger.com/profile/08748183678189221145noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-10452894221871607372010-09-10T04:40:47.351-07:002010-09-10T04:40:47.351-07:00नवभारत पे ही पढ़ लिए थे नीरज भाई.. गज़ब धांसू कहूँग...नवभारत पे ही पढ़ लिए थे नीरज भाई.. गज़ब धांसू कहूँगा इसे तो..<br />अच्छा हुआ कि आप तेलेगु में नहीं लिखते.. वरना हमारे मनोरंजन का क्या होता..?कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com