tag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post5620902751230842779..comments2024-03-01T02:07:26.107-08:00Comments on व्यंजना: हाल-ए-पुदिरे (हास्य-व्यंग्य)Neeraj Badhwarhttp://www.blogger.com/profile/15197054505521601188noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-87669713241382383522009-03-11T07:08:00.000-07:002009-03-11T07:08:00.000-07:00इन दरियाई घोड़ों को रोको प्रभु!वाह!नीरज, आज से आप ...इन दरियाई घोड़ों को रोको प्रभु!<BR/><BR/>वाह!<BR/><BR/>नीरज, आज से आप मेरी ब्लॉग लिस्ट में शामिलAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-4739174060295527432009-03-11T06:56:00.000-07:002009-03-11T06:56:00.000-07:00kaash hum log saaf safai pasand karne wale aadmi h...kaash hum log saaf safai pasand karne wale aadmi hote.lagta hai..sara jahan ka kachra hamre yahan hi paida hota hai.Fighter Jethttps://www.blogger.com/profile/02739433970119220916noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-11103268848660312552009-03-09T04:27:00.000-07:002009-03-09T04:27:00.000-07:00समाज के भीतरी सच को देख पाने का अच्छा हुनर है आपके...समाज के भीतरी सच को देख पाने का अच्छा हुनर है आपके पास। बधाई।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-35324517147031712142009-03-09T01:47:00.000-07:002009-03-09T01:47:00.000-07:00नीरज भाई बहुत खूब । मजा आ गया पढ़कर । हकीकत तो यही...नीरज भाई बहुत खूब । मजा आ गया पढ़कर । हकीकत तो यही है पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन की । आपने वहां के चूहों का जिक्र नहीं किया जिससे बिल्लियां भी भय खाती हैं और इंसान भी सहमता है । होली मुबारकAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-92098928822169074492009-03-09T01:11:00.000-07:002009-03-09T01:11:00.000-07:00एक नज़र में यक़ीन करना मुश्किल है कि स्टेशन ज़्याद...<B>एक नज़र में यक़ीन करना मुश्किल है कि स्टेशन ज़्यादा पुराना है या दिल्ली।<BR/><BR/>पत्थरों पर फाइन आर्ट बनाती पान की पीकें<BR/><BR/>दो भिखारी दैनिक ऊब मिटाने के लिए झगड़ रहे हैं।<BR/><BR/>पुलिसवाले बेलगाम तोंदों के साथ उन पर लगाम लगाने पहुंचते हैं<BR/><BR/>धक्कों का मुफ्त लंगर लग जाता है <BR/><BR/>और आवभगत ऐसी की पूछो मत! मना करने के बावजूद थोड़ा और, थोड़ा और कह पेट भर दिया जाता है।<BR/><BR/>लगता है निगम के कचरा ढ़ोने वाले ट्रक में बैठ गया हूं और पीछे तख़्ती टंगी है-रेलवे का मुनाफा 90 हज़ार करोड़!</B> <BR/><BR/>जबरदस्त नीरज भाई.. इन पंक्तियो ने तो समा बाँध दिया है.. ये सिर्फ़ आप ही लिख सकते है.. बहुत ही उम्दा.. वाकईकुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-69117899162534638402009-03-09T00:44:00.000-07:002009-03-09T00:44:00.000-07:00लगता है निगम के कचरा ढ़ोने वाले ट्रक में बैठ गया ह...लगता है निगम के कचरा ढ़ोने वाले ट्रक में बैठ गया हूं और पीछे तख़्ती टंगी है-रेलवे का मुनाफा 90 हज़ार करोड़!<BR/>Waah...bahut khoob vyang....आपको होली की शुभकामनाएं. <BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com