tag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post4850820749326432354..comments2024-03-01T02:07:26.107-08:00Comments on व्यंजना: अपने-अपने गौरव द्वीप!Neeraj Badhwarhttp://www.blogger.com/profile/15197054505521601188noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-45729620413945565572011-01-17T08:20:00.414-08:002011-01-17T08:20:00.414-08:00हमारे मित्र नीरज बधवार एक नामी व्यंगकार हैं, अगर म...हमारे मित्र नीरज बधवार एक नामी व्यंगकार हैं, अगर मुझसे पंगा लिया तो तुम पर व्यंग लिखवा दूंगा।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-10407501410130323912011-01-16T22:39:27.051-08:002011-01-16T22:39:27.051-08:00chha gaye guru...chha gaye guru...cakephphttps://www.blogger.com/profile/12389932782448448040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-56105817613379800742009-09-28T05:36:07.511-07:002009-09-28T05:36:07.511-07:00कई शब्द या जुमले तो आपने सटीक इस्तेमाल किये हैं
ज...कई शब्द या जुमले तो आपने सटीक इस्तेमाल किये हैं <br />जैसे " सवामाल्यर्पण " , "साले का गौरव" , साढ़े चार सौ रुपये में जीवन की सार्थकता ,<br />हास्य और यथार्थ दोनों ही पुट डाल देने से आपकी रचना लाजवाब बनी हैं. <br />वैसे मेरी स्थूल दृष्टि को ये हास्य ही लगा था पर आपकी सूक्ष्म लेखनी तो दोनों आयाम ( domain) बिलकुल सही दिखाती हैं . <br />Neeraj bhai, Where do u get this motivation from with consistency ? How is your life going ? <br />virender.zte@gmail.comवीरेंद्र रावलhttps://www.blogger.com/profile/09408103952722535771noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-70601644443061210462009-09-26T08:51:16.635-07:002009-09-26T08:51:16.635-07:00'... जीजाजी तो एसपी हैं'
गौरव का कारण है ...'... जीजाजी तो एसपी हैं'<br /><br />गौरव का कारण है :-<br />'सारी खुदाई एक तरफ<br />जोरू का भाई एक तरफ'Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-68135478566296746652009-09-24T07:47:24.732-07:002009-09-24T07:47:24.732-07:00कभी ब्लोगों पर भी नजर घुमाये हजूरे वाला साहब यहा...कभी ब्लोगों पर भी नजर घुमाये हजूरे वाला साहब यहां भी कई लोग आत्म गौरव का बोर्ड टांगे मिलेगे आपकोडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-57767428233851569232009-09-24T05:50:08.335-07:002009-09-24T05:50:08.335-07:00maza aa gaya :)maza aa gaya :)Fighter Jethttps://www.blogger.com/profile/02739433970119220916noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-44626463822473979822009-09-24T02:25:04.018-07:002009-09-24T02:25:04.018-07:00उम्दा, बहुत उम्दा। कुछ सूझता नहीं कि तारीफ कैसे की...उम्दा, बहुत उम्दा। कुछ सूझता नहीं कि तारीफ कैसे की जाए। अभिभूत कर दिया। मैं भी आपकी महिमा ढोता हूं। कहता फिरता हूं कि हमारे एक मित्र के व्यंग्य पढ़िये।मधुकर राजपूतhttps://www.blogger.com/profile/18175900220847414275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-7903484117942636402009-09-24T00:51:27.724-07:002009-09-24T00:51:27.724-07:00'अब आप नाप लीजिए विश्वसनीयता, जैसे भी नाप सकते...'अब आप नाप लीजिए विश्वसनीयता, जैसे भी नाप सकते हैं। ' ये लाइन बेहद पसंद आई. <br />और नीरजजी को तो हम भी जानते हैं :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-60923872218088879422009-09-24T00:19:51.840-07:002009-09-24T00:19:51.840-07:00वो जो बढ़िया व्यंग्य लिखते है ना, नीरज भाई..
अपने ...वो जो बढ़िया व्यंग्य लिखते है ना, नीरज भाई..<br />अपने खास आदमी है :)कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-36076496747759698712009-09-23T23:25:26.163-07:002009-09-23T23:25:26.163-07:00सच है
सफलता के कई बाप ही नहीं, कई साले भी होते है...सच है<br /><br /><i>सफलता के कई बाप ही नहीं, कई साले भी होते हैं।</i><br /><br />भास्कर में इसे पहले ही पढ़ चुका था<br /><br /><a href="http://www.google.com/profiles/bspabla" rel="nofollow"> बी एस पाबला</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-27939256342936033362009-09-23T22:53:44.321-07:002009-09-23T22:53:44.321-07:00नीरज भाई बधाई
कल ही तो पढ़ा है
पर अखबार का नाम
...नीरज भाई बधाई<br /><br />कल ही तो पढ़ा है<br /><br />पर अखबार का नाम<br /><br />याद नहीं रहा है<br /><br />पर नवभारत टाइम्स, भास्कर <br />में से ही होगा कोई एक<br /><br />जिसने प्रकाशित किया है<br /><br />आपका व्यंग्य नेक।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6436633004265678085.post-12958013853615457182009-09-23T22:00:01.258-07:002009-09-23T22:00:01.258-07:00हमें तो आज यह आत्मगौरव हो रहा है कि हमें नीरज जी ...हमें तो आज यह आत्मगौरव हो रहा है कि हमें नीरज जी की रचना पर टिप्पणी करने का अवसर मिला। बहुत ही सार्थक विचार। कितने खुशनसीब हैं वे लोग जो ऐसे सूत्रों से प्रसन्न रहते हैं लेकिन दूसरी तरफ वे लोग भी हैं जो ऐसे प्रसंगों से सदा दुखी रहते हैं। अच्छे व्यंग्य के लिए बधाई।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.com