हिना रब्बानी खार और बिलावल भुट्टो के अफेयर की ख़बर सामने आने के बाद चारों ओर उसकी आलोचना हो रही है। पर मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि इन आलोचनाओं में तर्क कम और लोगों की फ्रस्ट्रेशन ज्यादा झलक रही है।
कुछ लोगों का कहना है कि हम तो समझते थे हिना रब्बानी खार पाकिस्तान की ‘एक्सटर्नल अफेयर्स मिनिस्टर’ हैं, मगर वो तो पाकिस्तान की ‘एक्सट्रा मैरिटल अफेयर्स मिनिस्टर’ निकलीं। वहीं कुछ का कहना है कि हिना ने खुद से 11 साल छोटे बिलावल से सम्बन्ध बनाए हैं, अब हमें ये समझ नहीं आ रहा कि वो उनसे शादी करेंगी, या उन्हें गोद लेंगी। वैसे उनकी पहले से दो बेटियां हैं, अगर वो बेटा गोद लेना चाहें, तो बिलावल लड़का बुरा नहीं है!
बहरहाल लोगों की इसी तरह की आलोचनाओं और विवाहेतर सम्बन्धों के बारे में ज्ञान बढ़ाने के लिए मैंने स्थानीय कलंक कथाओं के एक जानकार से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
सर, बिलावल भुट्टो और हिना रब्बानी खार के सम्बन्ध के बारे में आपका क्या कहना है क्योंकि ज़्यादातर लोगों का मानना है कि दोनों की उम्र में 11 साल का फर्क है, इसलिए उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था।
जानकार: बरखुरदार, मुझे नहीं पता कि तुम प्यार के बारे में कितना जानते हो। मगर क्या तुमने सुना नहीं कि प्यार अंधा होता है। ये जात-पांत रंग-रूप कुछ नहीं देखता। अब जब वो जात-पांत नहीं देखता, तो बर्थ सर्टिफिकेट कैसे देख सकता है।
लड़के को अगर लड़की से प्यार हुआ है तो क्या पहला सवाल वो उससे ये पूछेगा, “मैं आपसे प्यार तो करता हूं मगर आप बुरा न मानें तो क्या मैं आपकी दसवीं की मार्कशीट देखकर आपकी उम्र जान सकता हूं। एक बार अगर ये कंफर्म हो जाए कि आप उम्र में मुझसे बड़ी नहीं हैं, तो हम इस प्यार पर आगे बात कर सकते हैं।”
ये कोई कमर्शिल डील नहीं होती बेटा। दिलों का लेन-देन सामान का लेन-देन नहीं है, जहां आप सौदा करने से पहले नियम और शर्तें पढ़ते हैं। ये तो बस हो जाता है।
मैंने कहा, “सर वो तो ठीक है मगर एक शादीशुदा इंसान के अफेयर को आप कैसे जायज़ ठहरा सकते हैं”।
जानकार (खीझते हुए): बच्चे उम्र के साथ-साथ अगर तुम्हारे दिमाग का भी बराबर विकास हुआ होता तो तुम ऐसा सवाल न पूछते!
जी, मतलब?
जानकार:मतलब ये कि मैंने तुम्हें अभी समझाया कि प्यार अंधा होता है। अब जब वो बर्थ सर्टिफिकेट नहीं देख सकता, तो भला मैरिज सर्टिफिकेट कैसे देखेगा...क्या तुम्हें इतनी सी बात भी समझ नहीं आती!
लेकिन सर, विवाहेतर सम्बन्धों से आदमी का वैवाहिक जीवन ख़राब होता है, उसका क्या?
जानकार:ये तुमसे किसने कह दिया। उल्टा एक्सट्रा मैरिटल अफेयर के बाद तो इंसान की वैवाहिक ज़िंदगी पहले से बेहतर हो जाती है। जो बीवी आपको सालों से खुद पर ध्यान न देने का ताना देती है, विवाहेतर सम्बन्धों के बाद आप जब भी उसे देखते हैं, तो आपको गिल्ट होता है। आप मन ही मन सोचते हैं कि ये मैं इसके साथ अच्छा नहीं कर रहा। और इसी गिल्ट से बचने के लिए आप उसे ज़्यादा प्यार करते हैं। बीवी ये सोचकर खुश होती है कि उसने जो 11 सोमवार के व्रत रखे हैं, ये उसका प्रताप है, फव्वारे वाले शनि मंदिर के पंडित जी से जो काला धागा बंधवाया है, उसकी कृपा है।
इस सबका असर ये होता है कि बीवी पहले से ज्यादा धार्मिक हो जाती है और आप ‘आउट आफ गिल्ट’ ही सही, बीवी से प्यार तो करने लगते हैं। वैसे भी मेरा तजुर्बा है, शादी के कुछ साल बाद बिना किसी गिल्ट के बीवी से प्यार किया ही नहीं जा सकता।
हां, विवाहेतर सम्बन्धों को लेकर अगर मेरी कोई शिकायत है, तो वो इसके नाम को लेकर है। अंग्रेज़ी का ‘एक्सट्रा मैरिटल अफेयर’ शब्द कितना खूबसूरत है। कितना म्यूज़िक है इस शब्द में। जबकि हिंदी का ‘विवाहेतर सम्बन्ध’ काफी औपचारिक साउंड करता है। अगर कोई नाम देना ही है तो हमें इसे ‘विवाहेतर सम्बन्ध’ नहीं, ‘विवाहेतर जीवन’ कहना चाहिए। विवाह के इतर जीवन। ऐसा जीवन जिससे एक उबाऊ वैवाहिक जीवन को नया जीवनदान मिलता है!