राज भाई, मैं हैरान हूं। दुनिया देख रही है। आपने नहीं देखा? देखा तो अब तक कुछ किया क्यों नहीं? ठेका आपने ले रखा है। दिहाड़ी मज़दूर भी पास हैं, फिर देर क्यों हो रही है? जमीन और आसमान आलिंगन को तरस रहे हैं। उन्हें एक कर दीजिए।
आप तो तिल का ताड़ बनाते रहे हैं। यहां ताड़ सामने है। आप चाहें तो उसका पहाड़ बना सकते हैं। फिर चाहें तो चढ़ भी सकते हैं। मगर आप नहीं चढ़ रहे। क्या हुआ ट्रेकिंग शूज़ नहीं मिल रहे या ज़्यादा ज़हर उगलने की वजह से डिहाइड्रेशन हो गया है। आप लोगों को पानी पिलाते रहे हैं, आप कहें तो मैं आपको पिलाऊं। हिम्मत मत हारिए। आगे बढ़िये। हालिया कारनामों के बाद देश को आपसे काफी उम्मीदें हैं। आप तो संकीर्ण राजनीति के गौरव हैं, कुमार गौरव मत बनिए। वरना आप भी 'वन विवाद वंडर' कहलाएंगे।
आप लम्बी रेस के घोड़े हैं। और इस रेस में कितने ही गर्दभों का समर्थन आपको मिला हुआ है। उन्हें आदेश दीजिए कि इस मुद्दे की ज़मीन पर लोटकर अपनी खुजली मिटाएं। आख़िर ये मराठी अस्मिता मामला है।
जहां तक मेरी जानकारी है हरभजन सिंह जालंधर के हैं। जालंधर पंजाब में है। पंजाब भारतीय नक्शे के हिसाब से उत्तर भारत में है। शॉन पॉलक दक्षिण अफ्रीका से हैं। जयसूर्या श्रीलंका से हैं और दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका महाराष्ट्र की किसी ग्राम पंचायत के नाम नहीं, बल्कि अलग देश हैं।
उम्मीद करता हूं आप पांचवी पास से तेज़ हैं और ये आपको भी पता होगा। तो फिर ये तमाम गैर मराठी लोग मुम्बई आइपीएल टीम में क्या कर रहे हैं? इस मामले पर आपने अब तक ज़हर क्यों नहीं उगला? लट्ठ क्यों नहीं निकाले। कब तक उन्हें तेल पिलाते रहेंगे। मौका है ताड़ का पहाड़ बना इन्हीं लट्ठों के सहारे उस पर चढ़ जाइये।
खिलाड़ी तो खिलाड़ी चीयर गर्ल्स भी बाहर से बुलवाई गई हैं। सरकार से पूछिए, एक तरफ तो वो अश्लीलता की दुहाई देकर बार डांस पर रोक लगाती है, दूसरी ओर भोंडेपन की ऐसी सार्वजनिक नुमाइश। नाचना ज़रूरी भी है तो उन बार बालाओं को मौका क्यों न मिले, जो इस पाबंदी के बाद बेरोज़गार हुई हैं।
राज भाई, मैं हैरान हूं। आपने न सही आपके थिंक टैंक ने भी ये सब अब तक नहीं सोचा। ज़रा चैक तो कीजिए कहीं टैंक लीक तो नहीं हो रहा। हो रहा है तो मज़दूरों से मरम्मत करवा लीजिए। और हां, मज़दूर बुलाते वक़्त ये ज़रुर पूछ लीजिएगा, कौन जिला?
( यह लेख ‘झापड़ कांड’ और चीयर गर्ल्स विवाद से पहले लिखा था। प्रकाशित आज हुआ है। इसलिए वैसा ही छाप रहा हूं जैसा उस वक़्त लिखा था)
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4 टिप्पणियां:
बिल्कुल सटीक.
भाई पहले तो अपना नाम देख कर थोडा घबरा गया ,फ़िर पुरा लेख पढा तो माजरा समझ मे आया, अच्छा आईना दिखया हे आप ने, लेकिन सुना हे इन पर कोइ असर नही पडता.
नीरज जी, राज भाटिया जी ही क्या, मैं भी घबरा सा गया था कि राज भाटिया जी का ज़िक्र यहां क्यों हो रहा है, लेकिन जल्द ही बात समझ में आ गई कि यह तो उस राज का थिंक टैंक लीक होने की बात हो रही है। एकदम सटीक व्यंग्य लेख।
नीरज जी, आप व्यंग्य बहुत बढिया लेख लिखते हैं...आप ही के उस टीवी सीरियलों वाले किरदारों के बारे में व्यंग्य लेख से बहुत प्रभावित होकर ही मैंने भी एक बार फिर इस विधा में मुंह मारना शुरू किया है। पहले मैं अखबारों के लिये व्यंग्य लिखा करता था।
uprokt dono tippaniyo se main bhi sahmat hu.. mujhe bhi laga ki aap bhatiya sahab ki baat kar rahe hai.. fir aage badha to mamla samajh aaya.. wakai bahut badhiya baat kahi aapne.. bilkul nishane par.. badhai..
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