मुस्कुराहट
अदाएं
मुस्कुराहटें
तो वो हर्फ़ हैं
जिनके सिलसिले
मोहब्बत लफ़्ज़
लिखते हैं
तुम बताओ
अदाओं
मुस्कुराहटों के
इस सिलसिले में
बातों
मुलाकातों
के हर्फ़
कब जुड़ेंगे
कब हम
इश्क की इबारत लिखेंगे
प्यार के झूठे-सच्चे वादे करेंगे
छिपते-छिपाएंगे
आंसू बहाएंगे
बताओ अजनबी
कब तक सिर्फ़
मुस्कुराओगी!
दिलचस्पियां
मेरी दिलचस्पियों को समझाओ
वो नाउम्मीद हो जाएं
क्यों कर वो सोचें
बात का
मुलाकात का
इक लम्स (स्पर्श) के एहसास का!
शुक्रिया
न जाने किसे ढूंढती वो चांदनी
तुम्हारी आखों में आई
और ठहर गई,
किस शबनम को तलाश्ता गुलाब
इन होठों से छूआ
और कुर्बान हुआ,
किस फिज़ा ने क़ाइनात
की कूची से रंग चुराये
और इन अदाओं
में घोल डाले,
अहसान फ़रामोश तुम सही,
मगर मैं तो नहीं,
तलाशता हूं
उस चांदनी
उस गुलाब और
उस फिज़ा को
शुक्रिया कहने!
अदाएं
मुस्कुराहटें
तो वो हर्फ़ हैं
जिनके सिलसिले
मोहब्बत लफ़्ज़
लिखते हैं
तुम बताओ
अदाओं
मुस्कुराहटों के
इस सिलसिले में
बातों
मुलाकातों
के हर्फ़
कब जुड़ेंगे
कब हम
इश्क की इबारत लिखेंगे
प्यार के झूठे-सच्चे वादे करेंगे
छिपते-छिपाएंगे
आंसू बहाएंगे
बताओ अजनबी
कब तक सिर्फ़
मुस्कुराओगी!
दिलचस्पियां
मेरी दिलचस्पियों को समझाओ
वो नाउम्मीद हो जाएं
क्यों कर वो सोचें
बात का
मुलाकात का
इक लम्स (स्पर्श) के एहसास का!
शुक्रिया
न जाने किसे ढूंढती वो चांदनी
तुम्हारी आखों में आई
और ठहर गई,
किस शबनम को तलाश्ता गुलाब
इन होठों से छूआ
और कुर्बान हुआ,
किस फिज़ा ने क़ाइनात
की कूची से रंग चुराये
और इन अदाओं
में घोल डाले,
अहसान फ़रामोश तुम सही,
मगर मैं तो नहीं,
तलाशता हूं
उस चांदनी
उस गुलाब और
उस फिज़ा को
शुक्रिया कहने!
2 टिप्पणियां:
बहुत खूब, नीरज:
मेरी दिलचस्पियों को समझाओ
वो नाउम्मीद हो जाएं
क्यों कर वो सोचें
बात का
मुलाकात का
इक लम्स (स्पर्श) के एहसास का!
वाह!!
ये अंदाज भी खूब रहा... !
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