एक ज़माने में ईश्वर से जो चीज़ें मांगा करता था, आज वो सब मेरी चौखट पर लाइन लगाए खड़ी हैं। कभी मेल तो कभी एसएमएस से दिन में ऐसे सैंकड़ों सुहावने प्रस्ताव मिलते हैं। लगता है कि ईश्वर ने मेरा केस मोबाइल और इंटरनेट कम्पनियों को हैंडओवर कर दिया है। पैन कार्ड बनवाने से लेकर, मुफ्त पैन पिज़्ज़ा खाने तक के न जाने कितने ही ऑफर हर पल मेरे मोबाइल पर दस्तक देते हैं! इन कम्पनियों को दिन-रात बस यही चिंता खाए जाती है कि कैसे ‘नीरज बधवार’ का भला किया जाए?
कुछ समय पहले ही किन्हीं पीटर फूलन ने मेल से सूचित किया कि मेरा ईमेल आईडी दो लाख डॉलर के इनाम के लिए चुना गया है। हफ्ते भर में पैसा अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। ‘सिर्फ’ दो हज़ार डॉलर की मामूली प्रोसेसिंग फीस जमा करवा मैं ये रक़म पा सकता हूं। ये जान मैं बेहद उत्साहित हो गया। कई दिनों से न नहाने के चलते बंद हो चुका मेरा रोम-रोम, इस मेल से खिल उठा। इलाके की सभी कोयलें कोरस में खुशी के गीत गाने लगीं, मोर बैले डांस करने लगे। मैं समझ गया कि मेरी हालत देख माता रानी ने स्टिमुलस पैकेज जारी किया है।
पहली फुरसत में मैंने ये बात बीवी को बताई। मगर खुश होने के बजाए वो सिर पकड़कर बैठ गई। फिर बोली...मैं न कहती थी आपसे कि अब भी वक़्त है... संभल जाओ....मगर आप नहीं माने...अब तो आपकी मूर्खता को भुनाने की अंतर्राष्ट्रीय कोशिशें भी शुरू हो गई हैं। मैंने वजह पूछी तो वो और भी नाराज़ हो गईं। कहने लगी कि आज के ज़माने में दुकानदार तक तो बिना मांगे आटे की थैली के साथ मिलने वाली मुफ्त साबुनदानी नहीं देता और आप कहते हैं कि किसी ने आपका ई-मेल आईडी सलेक्ट कर आपकी दो लाख डॉलर की लॉटरी निकाली है! हाय रे मेरा अंदाज़ा...आपकी जिस मासूमियत पर फिदा हो मैंने आपसे शादी की थी, मुझे क्या पता था कि वो नेकदिली से न उपज, आपकी मूर्खता से उपजी है!
दोस्तों, एक तरफ बीवी शादी करने का अफसोस जताती है तो दूसरी तरफ हर छठे सैकिंड मोबाइल पर शादी करने के प्रस्ताव आते हैं। बताया जाता है कि मेरे लिए सुंदर ब्राह्मण, कायस्थ, खत्री जैसी चाहिए, वैसी लड़की ढूंढ ली गई है। बंदी अच्छी दिखती है और उससे भी अच्छा कमाती है। सेल के आख़िरी दिनों की तरह चेताया जाता है कि देर न करूं। मगर मैं बिना देर किए मैसेज डिलीट कर देता हूं। ये सोच कर ही सहम जाता हूं कि बिना ये देखे कि मैसेज कहां से आया है, अगर बीवी ने उसे पढ़ लिया तो क्या होगा?
और जैसे ये संदेश अपनेआप में तलाक के लिए काफी न हों, अब तो सुंदर और सैक्सी लड़कियों के नाम और नम्बर सहित मैसेज भी आने लगे हैं। कहा जा रहा है कि मैं जिससे,जितनी और जैसी चाहूं, बात कर सकता हूं। बिना ये समझाए कि सुंदर और सैक्सी लड़की के लालच का भला फोन पर बात करने से क्या ताल्लुक है। साथ ही मुझे बिकनी मॉडल्स के वॉलपेपर मुफ्त में डाउनलोड करने का अभूतपूर्व मौका भी दिया जाता है। मानो, इस ब्रह्माण्ड में जितने और जैसे ज़रूरी काम बचे थे, वो सब मैंने कर लिए हैं, बस यही एक बाकी रह गया है!
दोस्तों, ऐसा नहीं है कि ये लोग मेरा घर उजाड़ना चाहते हैं। इन बेचारों को तो मेरे घर बनाने की भी बहुत फिक्र है। नोएडा से लेकर गाज़ियाबाद और गुडगांव से लेकर मानेसर तक का हर बिल्डर मैसेज कर निवेदन कर कर रहा है कि सिर्फ मेरे लिए आख़िर कुछ फ्लैट बाकी हैं। ये सोच कभी-कभी खुशी होती है कि इतने बड़े शहर में आज इतनी इज्ज़त कमा ली है कि बड़े-बड़े बिल्डर पिछले एक साल से सिर्फ मेरे लिए आख़िर के कुछ फ्लैट खाली रखे हुए हैं। पिछली दिवाली पर शुरू किए ‘सीमित अवधि’ के डिस्काउंट को सिर्फ मेरे लिए खींचतान कर वो इस दिवाली तक ले आए हैं। उनके इस प्यार और आग्रह पर कभी-कभी आंखें भर आती हैं। मगर मकान भरी आंखों से नहीं, भरी जेब से खरीदा जाता है। मैं खाली जेब के हाथों मजबूर हूं और वो मेरा भला चाहने की अपनी आदत के हाथों। वो संदेश भेज रहे हैं और मैं अफसोस कर रहा हूं। मकान से लेकर ‘जैसी टीवी पर देखी, वैसी सोना बेल्ट’ खरीदने के एक-से-एक धमाकेदार ऑफर हर पल मिल रहे हैं। कभी-कभी सोचता हूं कि सतयुग में अच्छा संदेश सुन राजा अशर्फियां लुटाया करते थे, ख़ुदा न ख़ास्ता अगर उस ज़माने में वो मोबाइल यूज़ करते, तो उनका क्या हश्र होता!
गुरुवार, 26 अगस्त 2010
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10 टिप्पणियां:
बड़े दिनों बाद आप हाई मोड़ में नज़र आये.. वो जो लिटरली खिलखिलाके हँसना होता है वो इस पोस्ट में मिल ही गया..
ओह .....दिन बना दिया आपने....
अब इसे बहुतों के दिन बनाने के लिए भेजती हूँ....
हफ्ते में कम से कम एक पोस्ट तो आपकी ऐसी आनी ही चाहिए...
अग्रिम धन्यवाद इसके लिए....
शुक्रिया...कोशिश करूंगा
वाह! वाह! वाह!
तीन बार लिखने से आफर जैसा कुछ लग रहा है..:-)
नीरज, आपका लिखा जब भी पढ़ता हूँ, मन प्रसन्न हो जाता है. बहुत-बहुत धन्यवाद दिन अच्छा बनाने के लिए.
maza aa gaya
:)
आपकी पोस्ट आपके दिमाग की दाद देने पर मजबूर कर रही है. सच क्या सोच चलती है आपकी जो आपने इतनी बढ़िया पोस्ट का सृजन कर डाला.
बधाई.
पोस्ट पढ़कर मज़ा आ गया है जी और दिलचस्पी जाग गई है।
अच्छा व्यंग्य
अपना ही हाल तूम्हारे जेसा है जानम।
इसमें एक बात और बताउं, इन मामलों को लेकर डी एन डी सेवाओं की गति बनी हूई है, उसका मामला तो अपने आप में एक आर्टीकल लिखने लायक है। बदहाल डी एन डी सेवा की शिकायत करने के बाद जो असर दिखता है उससे एक बात याद आती है
एक बच्चे से पूरा मोहल्ला परेशान था, जहां चाहे वहां मूत कर चले आता था, कई बार समझाने डांटने का असर नहीं हूआ तो लोग उसके बाप से शिकायत करने गए, तो पता लगा, उस बच्चे का बाप अपनी छत में खडे होकर दूसरे की छानी में मूत रहा है।
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