शनिवार, 11 सितंबर 2010

भावनाओं को समझो!

स्पॉट फिक्सिंग कांड के बाद पूरी दुनिया में पाक खिलाड़ियों पर थू-थू हो रही है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि पाकिस्तान के बाद इंग्लैंड में भी बाढ़ की नौबत आ गई है! खुद पाकिस्तान में जो इलाके बाढ़ से बच गए थे वो अब इस मामले की शर्मिंदगी से डूब गए हैं। तरह-तरह की बातें की जा रही हैं। कुछ का कहना है कि बीसीसीआई ने 2015 तक का भारतीय टीम का कैलेंडर जारी कर रखा है तो वहीं पीसीबी ने 2015 तक के पाक टीम के नतीजे। और भी न जाने क्या कुछ....हर कोई नो बॉल के बदले नोट लेने की आलोचना कर रहा है।

मगर मैं पूछता हूं कि इसमें ग़लत क्या है? दुनिया भर के गेंदबाज़ों को नो बॉल के बदले फ्री हिट देनी पड़ती है, अब इसी काम के लिए कोई उन्हें पैसा दे रहा है, तो क्या प्रॉब्लम है। आख़िर आदमी सब करता तो पेट की ख़ातिर ही है। वैसे भी पाकिस्तानी खिलाड़ियों को जब से आईपीएल में भी नहीं चुना गया, उनमें एक तिलमिलाहट थी...जैसे-तैसे खुद को बेच कर दिखाना था। सो वो बिक गए। मगर अफसोस दुनिया तो दूर, खुद पाकिस्तानी सरकार उनकी इस भावना को समझ नहीं रही। समझती तो फिक्सिंग कांड को भारत को ‘मुहंतोड़ जवाब’ के रूप में देखती।

दूसरा ये कि अगर वो पैसे लेकर मैच हारे भी तो इसमें बुराई क्या है। ये समझना होगा कि किसी भी देश की कला-संस्कृति और खेल वगैरह को वहां की राजनीति का आईना होना चाहिए। ख़ासतौर पर किसी भी अराजक देश में तो हुक्मरानों को ख़ासतौर पर नज़र रखनी चाहिए कि कुछ भी अच्छा न होने पाए। फिल्में बनें तो दूसरे देश की नक़ल कर बनें। खिलाड़ी खेलें तो पैसा लेकर हारें। परमाणु वैज्ञानिक एक ठंडी बीयर के बदलें परमाणु तकनीक बेच दें। इससे होगा ये कि जब हर जगह गुड़-गोबर होगा तो लोग नेताओं पर अलग से गुस्सा नहीं होंगे। ये नहीं सोचेंगे कि हमारे यहां हर जगह काबिल लोग भरे हुए हैं, बस नेता ही भ्रष्ट है। उन्हें बैनिफिट ऑफ डाउट मिल जाएगा। उसी तरह जैसे शकूर राणा के वक़्त पाक बल्लेबाज़ों को अक्सर मिल जाया करता था!

(दैनिक हिंदुस्तान 11, सितम्बर, 2010)

और अंत में...

कलमाडी 'साहब' घर पहुंचे तो काफी भीग चुके थे...बीवी ने चौंक कर पूछा...इतना भीग कर कहां से आ रहे हैं...क्या बाहर बारिश हो रही है...कलमाड़ी-नहीं....तो फिर...कलमाड़ी-क्या बताऊं...जहां से भी गुज़र रहा हूं...लोग थू-थू कर रहे हैं!!!!!

4 टिप्‍पणियां:

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

सटीक व्यंग्य

हर पल होंठों पे बसते हो, “अनामिका” पर, . देखिए

Rajesh Oza ने कहा…

बहुत खूब कहा आपने।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सटीक कटाक्ष है.......
प्रासंगिक और सही स्थिति सामने रखी है आपने.....

रंजना ने कहा…

इससे होगा ये कि जब हर जगह गुड़-गोबर होगा तो लोग नेताओं पर अलग से गुस्सा नहीं होंगे। ये नहीं सोचेंगे कि हमारे यहां हर जगह काबिल लोग भरे हुए हैं, बस नेता ही भ्रष्ट है। उन्हें बैनिफिट ऑफ डाउट मिल जाएगा।

यह एकदम खरी बात कह दी आपने...