शुक्रवार, 3 अगस्त 2012

मूर्खताओं को चाहिए बड़ा मंच!

मैं हमेशा इस बात का पक्षधर रहा हूं कि व्यक्ति हो या राष्ट्र, उसकी एक पहचान होनी चाहिए। अब इस पहचान का इस बात से कोई ताल्लुक नहीं है कि वो अच्छी है या बुरी। इसके लिए ज़रूरी है कि जो मूर्खताएं या करतब अब तक आप छोटे स्तर पर दिखाते रहे हैं, उसे बड़े मंच पर परफॉर्म करें ताकि आपका हुनर ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंच पाए। जैसे मोटे तौर पर हर हिंदुस्तानी ये जानता है कि हमारे यहां 8 से 10 घंटे बिजली न रहना आम बात है। मगर ‘हमारे यहां घंटों बिजली नहीं रहती’ ये अपने आप में एक कैज़ुअल स्टेटमेंट है, इस पर कोई ध्यान नहीं देने वाला। और इसका नुकसान ये हो रहा है कि रोज़ाना घंटों बिजली गुल रहने के बावजूद विश्व मानचित्र में भारत की ‘पावर कट नेशन’ के तौर पर कोई पहचान नहीं बन पा रही। ऐसे में क्या किया जाए...किया ये जाए कि नदर्न ग्रिड फेल कर दो...अब एक साथ देश के नौ राज्यों में बिजली चली गई...पूरे देश में हाहाकार मच गया...टीवी से लेकर अख़बार तक हर जगह बिजली गुल रहना सुर्खियां बना...जबकि माई लॉर्ड ध्यान देने लायक बात ये है कि इस कट के दौरान भी रोज़ाना की तरह बिजली सिर्फ आठ से दस घंटे तक ही नहीं आई। तो सवाल ये है कि जो कटौती हमारी सामान्य दिनचर्या का हिस्सा है, उस पर इतना क्लेश क्यों? शायद इसलिए क्योंकि इस बार बिजली गुल रखने का ये गुल हमने एक साथ कई राज्यों में खिला दिया। नतीजा ये हुआ कि एक साथ चारों ओर से सरकार को गालियां पड़ीं। भारत सहित विश्व मीडिया में इसकी चर्चा हुई... भारत को लानत देते हुए दुनिया ने कहा, ‘अरे! ये कैसा देश है जहां घंटो बिजली नहीं रहती’, और आख़िरकार हमने एक ऐसे अवगुण के लिए वर्ल्ड लेवल पर अपनी पहचान बना ली, जो सालों से हममें विद्यमान तो था मगर हम उसे एनकैश नहीं कर पा रहे थे! और जैसा कि होता है जब आप बड़े मंच पर परफॉर्म करते हैं तो आपको उसका रिवॉर्ड भी बड़ा मिलता है। लगातार दो दिनों तक नदर्न ग्रिड फेल हुआ, आधा देश अंधेरे में डूब गया और इस सबसे खुश होकर कांग्रेस ने ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे को गृहमंत्री बना दिया। मानो वो संदेश देना चाह रही हो कि लोगों को अंधेरे में रखने का हम क्या इनाम देते हैं! (दैनिक हिंदुस्तान 3 अगस्त, 2011)

2 टिप्‍पणियां:

अनूप शुक्ल ने कहा…

क्या बात है! :)

Giribala ने कहा…

सही बात है! कब तक हम mediocre बने रहेंगे :-|