शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2012

घोटालेबाज़ों का क्रिएटिव ब्लॉक!


हिंदुस्तान में जैसे ही कोई घोटाला सामने आता है तो आप घपला करने वालों की कल्पनाशक्ति और मौलिकता पर फिदा हो जाते हैं। अकेले बैठे आप यही सोचते हैं कि क्या ऐसा भी हो सकता था, क्या ये भी किया जा सकता था? वाह! ये सब लोग कितने महान और क्रिएटिव हैं। मौका मिले तो ज़रूर इनके चरण स्पर्श करना चाहूंगा। मगर ये देख अफसोस होता है कि घोटालाशील व्यक्ति घोटाले के दौरान जितना कल्पनाशील होता है, पकड़े जाने पर वो उतना ही मामूली बर्ताव करने लगता है। तभी तो बचाव में हर भ्रष्टाचारी की दलीलें एक सी होती है। मसलन, ‘ये आरोप मेरे खिलाफ एक साज़िश हैं’। आप सोचते हैं, भाई, पांच साल में आम आदमी की तनख्वाह पांच हज़ार नहीं बढ़ी और तुमने अपनी सम्पत्ति पांच हज़ार गुणा बढ़ा ली। ऊपर से कहते हो कि ये आरोप मेरे खिलाफ साज़िश है। अगर ये साज़िश है तो तुम शुक्रिया अदा करो माता रानी का जिसने इस साजिश का शिकार बनने के लिए तुम्हें चुना। वरना तो पांच हज़ार कमाने वाले आदमी को ज़िंदगी ही अपने खिलाफ एक साज़िश लगने लगती है। वो फिर कहता है कि नहीं, ये आरोप मेरे खिलाफ साज़िश हैं और आप कहते हैं, यार, मज़ा नहीं आया। ऐसा करो तुम दो दिन और ले लो मगर किसी बढ़िया बहाने के साथ आओ। प्लीज़ बी मोर क्रिएटिव। इस लाइन में पंच नहीं है! वो दो दिन और लेता है और फिर कहता है, ‘मेरे खिलाफ ये आरोप सस्ती लोकप्रियता बटोरने के लिए लगाए गए हैं’। आप अपना सिर पीटते हैं और कहते हैं, क्या हो गया है तुम्हें मेरे काबिल दोस्त। ‘सस्ती लोकप्रियता’ का बहाना तो शाहिद आफरीदी के बर्थ सर्टिफिकेट से भी पुराना है। वैसे भी महंगाई के इस दौर में जब तुम सस्ते या मुफ्त लोन ले सकते हो तो क्या दुनिया सस्ती लोकप्रियता नहीं बटोर सकती। कुछ नया बताओ। आपके बार बार कहने पर भी वो कुछ नया नहीं बता पाता और बताए भी कैसे? इस देश में भ्रष्टाचार करते वक्त आदमी को ये अटूट विश्वास होता है कि वो कभी पकड़ा नहीं जाएगा। इसलिए वो अपनी सारी कल्पनाशक्ति भ्रष्टाचार में तो लगा देता है मगर पकड़े जाने के बाद क्या कहना है, इस बारे में कभी नहीं सोचता। तभी तो जो नवीनता उनके घोटालों में होती है, वो उनके बहानों में नहीं।

4 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

काश इतनी सृजनात्मकता हमारे साहित्य में भी आ जाती।

anshumala ने कहा…

बुद्धि का लोहा तो तब मने जब किया धरा सब उसका अकेले का हो ज्यादातर में कियो की मिली भगत होती है दुसरे जब तक कोई घोटाला सामने आता है तब तक पता चलता है की घोटाले की प्लानिंग में कापी राइट का उलंघन कर कितनो ने उसको दोहरा लिया है , दुसरे छुपा नहीं आपये और पकडे गए , तब काहे की तारीफ , तारीफ तो उसकी होनी चाहिए जिसके घपले मरने के बाद खुले :)

अनूप शुक्ल ने कहा…

अउर का कह सकता है बेचारा घोटाले में पकड़ा गया आदमी।

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत बढिया