बुधवार, 30 अप्रैल 2008
ये था स्टार स्पिनर का ‘तीसरा’! (हास्य-व्यंग्य)
मोहाली टीम की आईपीएल में यह पहली जीत थी। प्रीति जिंटा मैदान में आती हैं। ब्रेट ली को गले लगाती हैं, बाकी खिलाड़ियों से हाथ मिलाती हैं। खिलाड़ी भी एक-दूसरे को बधाई दे रहे हैं। मोहाली के दर्शक भी खुश हैं। तभी कैमरा श्रीशांत पर पड़ता है। वो रो रहे हैं। मैं समझा नहीं रो क्यों रहे हैं, प्रीति ने उन्हें हग नहीं किया इसलिए? नहीं, नहीं, ऐसी बात होती तो बाकी खिलाड़ी भी रो रहे होते, मगर वो तो श्रीशांत को चुप करवा रहे हैं। ध्यान खींचने के लिए श्रीशांत की ओवर एक्टिंग से सभी वाकिफ हैं। मगर इसके लिए रोना और वो भी इस मौके पर? ध्यानाकर्षण प्रस्ताव की धारा तीन बी के तहत इस वक्त उन्हें डांस करना चाहिए, मगर वो रो रहे हैं। बहरहाल, उन्हें रोता छोड़ मैं सो गया। सुबह अखबार देखा तो बड़े-बडे़ अक्षरों में हैडलाइन थी- 'हार से बौखलाए भज्जी ने श्रीशांत को थप्पड़ मारा।' एक हाथ में मैंने अखबार पकड़ा था, दूसरे से माथा पकड़ लिया। बेड़ा गर्क, भज्जी मेरे भाई! ये तुमने क्या कर दिया? अचानक सिडनी टेस्ट मेरी आंखों के आगे घूम गया। घूम गया तुम्हारा सायमंड्स को मंकी कहना। एक-एक ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी का चेहरा, वो दलीलें जो तुम्हें बदतमीज साबित करने के लिए उन्होंने दी थीं। और वो तर्क जो तुम्हें मासूम बताने के लिए हमने जुटाए थे। श्रीशांत को रसीद किए गए थप्पड़ की गूंज के साथ-साथ तमाम बातें मेरे कानों में ईको करने लगीं। दिल कर रहा था कि धरती कानपुर के विकेट की तरह फट जाए और मैं श्रीशांत के साथ उसमें समा जाऊं। तुम्हारी हालिया करतूत ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा। ऑस्ट्रेलिया के काफी खिलाड़ी अभी इंडिया में हैं। उनमें से एक भी अब अगर आकर कह दे कि हमने नहीं कहा था, ये तो है ही बदतमीज, तो बताओ भला हम कहां जाएंगे, क्या जवाब देंगे उन्हें? मिडल स्कूल से लेकर हाई स्कूल तक के तुम्हारे तमाम करैक्टर सर्टिफिकेट हमने उन्हें दिखाए थे और गली के झगडे़ में बच्चे का पक्ष लेने वाली मां के स्टाइल में कहा था- हमारा लड़का ऐसा कर ही नहीं सकता। मगर हमारे लड़के ने तो हमें भी सरप्राइज कर दिया। अब तक हम सोचते थे कि क्रिकेट खिलाड़ी मैदान में दो ही काम करने जाते हैं, खेलने और गाली-गलौज करने। मगर तुमने थप्पड़ के रूप में क्रिकेट की दुनिया को एक 'तीसरा' भी दे दिया है। हर दूसरा खिलाड़ी इस 'तीसरे' का इस्तेमाल करने लगे तो क्रिकेट शरीफों का खेल कहां रह जाएगा। मैदान में खेल कम होगा और लट्ठ ज्यादा चलेंगे। ऑस्ट्रेलियाई तो हमेशा से ही स्लेजिंग यानी छींटाकशी के हिमायती रहे हैं। सोचो, अगर सायमंड्स और हेडन जैसे प्लेयर्स मारपीट को भी जायज मानने लगें तो विपक्षी खिलाड़ी कहां जाएंगे? तुम खुद कहां जाओगे? थप्पड़ की सफाई में तुम्हारा कहना है कि हम सब परिवार की तरह हैं और परिवार में ये सब होता रहता है। दिल कर रहा है कि तुम्हारी इस दलील पर मैं खुद को थप्पड़ मारूं कि आखिर ये सब मैंने क्यों सुना? भज्जी, अगर तुम सब परिवार की तरह हो, तब भी घरेलू हिंसा कानून के तहत तुम पर मामला तो बनता ही है। मुझे अफसोस है कि जिस सहज प्रवृत्ति से तुम झगड़ा करते हो, उसी सहजता से बहाने नहीं बना पाते। सायमंड्स मामले पर भी तुमने कहा था कि मैंने इसे मंकी नहीं कहा बल्कि मां की गाली दी थी। ऐसा कहकर तुमने कौन सा उसका माल्यार्पण किया था? ये तो और भी शर्म की बात थी। अब तक तुम अपने 'दूसरे' से विपक्षी बल्लेबाजों को चकमा देते रहे हो, लेकिन थप्पड़ के तौर पर जो 'तीसरा' तुमने फेंका है, इससे तो पूरी की पूरी खेल भावना ही चकमा खा गई है। भज्जी, अब भी वक़्त है सुधर जाओ, इससे पहले कि तुम क्रिकेट की दुनिया के राखी सावंत बन जाओ!
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6 टिप्पणियां:
:) सही कहा ये तो वाकई तीसरा था भाई....
-सजीव सारथी
www.hindyugm.com
इस बेवकुफ़ी की आवाज दुसरे खिलाडियो को सवक तो देगी, लेकिन कही दब्बु भी ना बना दे,इन गोरो के सामने,क्यो कि गोरो को तिल का ताड बनाना भी आता हे, यह कुछ भी करे, माफ़, हम आह भी भरे तो संगीन जुर्म .लेकिन यहा भज्जी को अपने उपर कंट्रोल रखना चहिये था, अब भुगतो
दुरुस्त बात है बिल्कुल.. ये तीसरा हो था..
बिल्कुल सही!
aapne to wahi likh diya jo karodo hindustaniyon ke man mein aaya hoga jab unhone yeh news dekhi ya padhi hogi...bahut badhiya
likhte rahe..
जी बिल्कुल ठीक कहा आपने... ये प्रीती जिंटा वाली बात तो मेरे दिमाग में आई थी मैच देखते समय, पर कमेंटेटर ने कहा की वो जीत पर इमोसनल हो रहे हैं तो हमने कहा की चलो ये भी हो सकता है.
और भज्जी कऐ बारे में क्या कहें आपने अच्छी ख़बर ले ही ली है.
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