टूथपेस्ट के विज्ञापन अमूमन बताते हैं कि ये कीटाणुओं से आपके दांतों की रक्षा करता है, मसूड़े मज़बूत बनाता है, सांसों में ताज़गी रखता है और ये तमाम तरह के साइज और रंगों में मौजूद है। मगर पिछले दिनों टूथपेस्ट का जो विज्ञापन मैंने देखा, वो बताता है कि इसमें नमक है! सुभानअल्लाह!!! टूथपेस्ट खरीदते वक़्त आप भी सोचते हैं ताज़गी और सफाई तो सभी देते हैं, अगर बीस रूपये में नमक भी मिल रहा है तो बुराई क्या है?
आज जब एक आदमी की दूसरे से उम्मीद घटती जा रही है, बाज़ार से लगातार उसकी उम्मीदें बढ़ती जा रही है। टूथपेस्ट में तो वो नमक चाहता है और बेटे से उम्मीद नहीं कि घर लौट कर पूछ ले कि पिताजी आज दिन कैसा रहा? रिश्तों से रिटर्न नहीं मिल रहा है, यही वजह है कि उनमें इनवेस्टमेंट भी कम हो गई है!
ऐसे में बड़ी कम्पनियां अपनी गुडविल का फायदा उठाते हुए रिश्ते बेचना भी शुरू कर दें। चमाटा कम्पनी को चाहिये कि वो एक लाख की कार के बाद, पचास हज़ार का पति भी ले आये। टीवी पर पति का विज्ञापन आ रहा है। मॉडल कह रहा है मैं चमाटा कम्पनी का सस्ता, सुंदर और मूर्ख पति हूं। मेरी सबसे बड़ी ख़ासियत यही है कि मैं मूर्ख हूं। मेरा पास अपना दिमाग नहीं। जैसा मुझे कहा जायेगा मैं वैसा ही करूंगा। मेरी दूसरी ख़ासियत है कि मैं सुंदर हूं। 'बेवकूफ' और 'हैंडसम’ पति का ऐसा 'डैडली कॉम्बीनेशन' आपको किसी और कम्पनी में नहीं मिलेगा। मार्केट में जब साथ चलूंगा तो आपका ईगो सैटिस्फाई करूंगा। मैं पन्द्रह सौ रूपये मासिक की आसान किस्तों में 'मनी बैक गारंटी' के साथ उपलब्ध हूं। पसंद न आने पर डाउन पेमंट वापिस, और किस्ते बंद!
मेरी आंखों के सामने सीन क्रिएट हो रहा है। महिला पति को काउंटर पर पटकते हुए दुकानदार को डांटती है, कैसे पति बेचते हैं आप ? दुकानदार घबराता है। क्या हुआ मैडम...होना क्या है....कितनी आवाज़ करता है ये! दुकानदार घबराता हुआ ....मैडम रसीद दिखायें। रसीद देखते हुए, स़ॉरी मैडम वैलीडिटी तो निकल गई, पीस तो चेंज नहीं कर सकते। महिला-फिर क्या कर सकते हैं.....दुकानदार थोड़ा रूकते हुए..... आप कहें तो इनमें साइलेंसर लगा दें! महिला उछलते हुए-हां ये बढ़िया रहेगा, लगा दो!
सच....रिश्तों की आज जो हालत है उनका बाज़ार भाव तब ही सुधर सकता है, जब बड़ी कम्पनियां उन्हें बेचने लगे और वो ब्रेंडिड हो जायें! हुंडई हसबैंड, वोडाफोन वाइफ, टाइटन आंटी और कोडैक अंकल! वाह! कितनी ब्रेंडिड फैमिली होगी!
सोमवार, 28 अप्रैल 2008
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5 टिप्पणियां:
बस इसी बात की कसर थी???
आप का यह व्यंग्य अप्रत्यक्ष रूप में कहीं न कहीं रिश्तों में बढ़ते खोखलेपन को बता रहा है .
बहुत अच्छी फैमिली की कल्पना की है आपने,
भगवान आपको एक भरा पुरा ब्रांडेड परिवार दें :P
काश ऐसा हो सकता
आपकी कल्पनाशीलता भी कम ब्रेंडिड नहीं है, बधाई.
बहुत बढ़िया बात... वाक़ई आपकी कल्पनाशीलता का क्या कहना.. उम्दा लेख
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