ज्यादा ईमानदारी जानलेवा भी साबित हो सकती है। आत्महत्या करना चूंकि विकल्प नहीं है इसलिए जानकार सलाह देते हैं कि ‘व्यवहारिक’ बनो। मतलब ईमानदारी का आह्वान मानों, मगर हालात के हिसाब से भ्रष्ट भी हो जाओ। और यहीं से सारी गड़बड़ शुरू होती है। जो स्वाभाविक तौर पर भ्रष्ट हैं, उन्हें लगता है ‘हमें बदलने की ज़रूरत नहीं’ और जो थोड़े बहुत ईमानदार हैं, वो ‘हालात के हिसाब से’ का ठीक से हिसाब से नहीं लगा पाते।
तभी आप देखते हैं कि मंत्रिमंडल फेरबदल में एक मंत्री को इसलिए अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी क्योंकि उसने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए नज़दीकियों को फायदा पहुंचाया और दूसरे का विभाग इसलिए बदला गया क्योंकि उसने पद पर रहते हुए कुछ ख़ास लोगों को फायदा नहीं पहुंचने दिया। मतलब एक को बेईमानी की सज़ा मिली और दूसरे को ईमानदारी की।
हर मंच से चूंकि आहवान ईमानदारी का ही किया जाता है, इसलिए जो इस फेरबदल से अप्रभावित रहे, वो तय नहीं कर पा रहे कि उन्हें ईमानदारी की कौनसी मुद्रा अपनानी है। अपनी कार्यशैली में ऐसे कौनसे भाव लाने हैं जिससे वो दुनिया को शराफत का पुतला दिखें और अपनी शराफत में इतना भी आक्रामक नहीं होना कि सरकार इस पुतले का ही दहन कर दे।
लिहाज़ा मेरी सरकार से गुज़ारिश है कि वो आज ही ईमानदारी को लेकर एक गाइडलाइन जारी करे। गणितिय विश्लेषण में माहिर कपिल सिब्बल बताएं कि एक मंत्री और नौकरशाह को कितने परसेंट ईमानदार होना चाहिए। कितने प्रतिशत से कम ईमानदार होने पर उसे मंत्रिमंडल से निकाला जा सकता है और कितने फीसद से ज्यादा कर्तव्यनिष्ठ होने पर उसका विभाग बदला जा सकता है।
सरकार, नौकरशाहों को आदेश दे कि तुम्हें किसी भी भ्रष्टाचारी को छोड़ना नहीं है सिवाए...अब इस ‘सिवाए’ के अंतर्गत उन कम्पनियों, रिश्तेदारों, परिचितों के नाम दिए जाएं जिनसे सरकार में बैठे लोगों के नज़दीकी सम्बन्ध हैं। जैसे ही ये लोग कोई ज़मीन हड़पें तो उसका लैंडयूज़ बदलकर उसे ‘एसआरज़ेड’ यानि स्पेशल रिलेटिव ज़ोन की श्रेणी में डाल दिया जाए। और एक बार कोई ज़मीन एसआरज़ेड की श्रेणी में आ जाए तो उस पर भूमि अधिग्रहण के मौजूदा कानून अमान्य माने जाएं।
मेरी सलाह है कि इस गाइडलाइन को आज ही तबादलों की धमकी के साथ तमाम मंत्रियों और अधिकारियों को भेजा जाए। उम्मीद है वो मान जाएंगे। आख़िर ईमानदारी भी तो स्टेबिलिटी चाहती है।
5 टिप्पणियां:
यह तो पहले ही ज़ीरों परसेंट तय है
बहुत बढिया
बहुत खूब!
दमदार सुझाव है, हर चीज की अति बुरी होती है।
लेख पसंद करने के लिए आप सबका शुक्रिया।
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