कल शाम मैच के दौरान ब्रेक में चैनल बदलते वक़्त सीएनएन-आइबीएन पर रुकना हुआ। उस वक़्त चैनल 'Real Heroes Awards' कार्यक्रम दिखा रहा था। ये अवार्ड्स सीएनएन-आइबीएन और मुकेश अंबानी की रिलांयस इंडस्ट्रीज़ की तरफ से ज़मीनी स्तर पर देश के लिए अच्छा काम करने वालों को दिए जा रहे थे। अवार्ड देने वाले लोगों में मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी भी थी। समारोह तो 14 अप्रेल को मुम्बई में हो चुका था, मगर उसकी रिकॉर्डंग आ रही थी।
इसी सिलसिले में एक 'देहाती युवा' स्टेज पर अवार्ड लेने पहुंचा। अवार्ड लेने के बाद जब उसने (बड़े मंच की शिष्टता मानकर या घबराहट में) अभिवादन के लिए नीता अंबानी की तरफ हाथ बढ़ाया तो उन्होंने ऐसा न कर हाथ जोड़ दिए। इसके बाद लड़का 'हिंदी' में दो शब्द कह कर चला गया। 'मैच शुरु हो गया होगा' ये सोच कर मैंने फिर से सैट मैक्स लगा लिया।
बैंगलोर रॉयलस और मुम्बई के बीच मैच ख़त्म हुआ, मार्क बॉउचर मैन ऑफ द मैच चुने गए। संयोग से नीता अंबानी (मुम्बई टीम मुकेश अंबानी न ख़रीदी है इस हैसियत से) यहां भी मौजूद थीं। मैन ऑफ द मैच पुरस्कार उन्हें ही देना था। इससे पहले की बॉउचर पुरस्कार लेने के लिए आगे आते नीता अंबानी ने खुद हाथ आगे बढ़ाया, चेहरे पर आत्मीय मुस्कान लाईं और बड़ी शिद्दत से हाथ मिलाया।
सोचने लगा देहाती युवा से हाथ जोड़ कर अभिनंदन और बॉउचर से हैंड शेक। ऐसा उन्होंने अपने कद के चलते किया या उस देहाती की औकात के चलते............... या फिर वो दोनों जो डिज़र्व करते थे उन्हें वही मिला!
सोमवार, 21 अप्रैल 2008
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5 टिप्पणियां:
गाँव वालो को रोटी और शहर वालो को बर्गर... :-)
हाथ नही गंदे हो जाते उस गाँव वाले से हाथ मिलाकर। और विदेशी से हाथ मिलाना तो गर्व की बात है।
क्या कहा जाये इस मानसिकता का...मटका खरीदेंगे तो ५ रुपये का ३ में..आधे घंटे बहस करके..तीन बार बजा कर देखेंगे और कार खरीदते समय .२५ पैसे चैंज भी चेक पर लिखेंगे.
बेहद सशक्त अभिव्यक्ति
क्या बात कही है आपने.. बहुत खूब
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