ये बहस तो अवहेलना से आहत हो कब की आत्महत्या कर चुकी है कि न्यूज़ चैनलों को सनसनी परोसनी चाहिए या नहीं। अब तो सवाल ये है कि सनसनी का स्तर कैसे बनाकर रखा जाए। मतलब, आज से छह महीने पहले लोग जिस खबर पर हैरान होते थे, आज उसने उत्तेजित करना बंद कर दिया है। जिस ‘कूड़े’ को तैयार करने में पहले एक-आध चैनल को महारत हासिल थी, उसकी रेसिपी आज सब ने जान ली है। इस सबके चलते हुआ ये है कि सनसनी का ‘बार’ रेज़ हो गया है। जो चैनल कल तक ‘साल की सबसे बड़ी’ ख़बर या घटना बता धमकाते थे वो अब सदी से नीचे बात ही नहीं करते।
नक्सली बंगाल में गाड़ी रोकते हैं-चैनल बताता है-भारत का सबसे बड़ा अपहरण। जयपुर के तेल डिपो में आग लगती है-वो लिखता है-भारत का सबसे बड़ा अग्निकांड। मंझोले या छुटके के लिए यहां कोई जगह नहीं है, क्योंकि उसका मानना है कि बड़ा है तो बेहतर है। आतंकियों ने मुम्बई पर हमला किया था तब भी उसने बताया था-सबसे बड़ा आतंकी हमला। इंचटेप ले त्रासदी का साइज नापा जा रहा है। अगर कोई बताए कि मेरे पिताजी तो इस-इस तरह से सड़क हादसे में मारे गए और हादसे का विवरण सुन सामने वाला कहे, अरे! ये तो सदी का सबसे बड़ा सड़क हादसा था! तो क्या पीड़ित शख्स ‘दुख की बढ़िया हैडलाइन’ सुन खुश हो जाएगा।
खैर, पीड़ित शख्स कुछ भी सोचे, यहां तो हर किसी की कोशिश है कि उसका बड़ा, सामने वाले के बड़े से किसी कीमत पर छोटा नहीं पड़ना चाहिए। इसलिए ‘सदी’ प्राइम टाइम का नया बेंचमार्क हो गई है और अगर कोई अतिउत्साही ‘दशक की सबसे बड़ी ख़बर’ ले प्रोड्यूसर के पास जाए तो उसे पूरे न्यूज़रूम के सामने पीटा जाता है। सबको बताया जाता है कि शाम छह बजे के बाद सदी से नीचे की कोई खबर नहीं चलनी चाहिए। सुबह ‘दशक की’ और रात बारह बजे बाद ‘साल की’। ‘आज की सबसे बड़ी ख़बर’ कहने का रिवाज़ तो अक्लमंदी की तरह न जाने कब का गायब हो चुका है। प्राइम टाइम और नॉन प्राइम टाइम कहे जाने वाले एंकर भी अब ‘सदी टाइम’ और ‘नॉन सदी टाइम’ कहलाने लगे हैं। ऐसे लोग जो चैनलों में साल की सबसे बड़ी ख़बर वाले बुलेटिन बनाते हैं, उन्हें नीची निगाहों से देखा जाता है। लोग बॉयोडेटा में लिखते हैं कि फलां चैनल में पिछले तीन सालों से सदी के सबसे बड़े बुलेटिन का ज़िम्मा निभा रहा हूं। और जैसा मुकाबला आज चैनल्स के बीच है उसे देख लगता नहीं कि सदी का ये चलन इस सदी के आख़िर तक भी जाएगा।
मंगलवार, 10 नवंबर 2009
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4 टिप्पणियां:
ये तो सदी की सबसे धांसू पोस्ट लिख दी आपने नीरज भाई..
जनाब इतनी अच्छी पोस्ट का बेकार सा शीर्षक देकर आपने कबाडा कर दिया... अरे! पानी फेर दिया... वरना धमाका हो जाता... इसे लिखने में कुछ दिमाग नहीं लगाया आपने (शीर्षक)... ऐसे तो कम लोग ही आयेंगे यहाँ... कुछ ऐसा लिखिए.. " जो इसे पढेगा वो मर जायेगा..." या कुछ सोचिये... ना चटपटा... डराने वाला... सेक्सी टाइप... सब मैं ही बताऊँ क्या :)
ओर आज शाम सादे पांच बजे देश का सबसे तेज चैनल डिस्कवरी चैनल की कोई पुरानी फुटेज लेकर दिखा रहा था कैसे एक भैंस ने शेर को मार भगाया .शीर्षक था ........."शेर की कटी नाक "
Ha ha ha ha ......ekdam sahi kaha aapne...sou aane sahi !!!
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