बचपन में गली क्रिकेट खेलते हुए हममें से बहुतों ने खुद को स्टार माना है। हद दर्जे की बेसुरी आवाज़ के बावजूद सिर्फ ‘स्टेज पर गा लेने की हिम्मत’ के कारण हम कॉलेज के किशोर भी कहलाए। कॉलोनी में एक-आध को चपत लगा हम मोहल्ले के दादा भी हुए। मगर मान्यता का यही दायरा गली, कॉलेज और मोहल्ले से बाहर फैले इसके लिए ज़रूरी है कि हम बड़े मंच पर परफॉर्म करें। गली स्टार को राष्ट्रीय होरी बनने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलना पड़ता है और कॉलेज किशोर को ‘इंडियन ऑयडल’ टाइप कुछ जीतना पड़ता है। ठीक इसी तरह जब से अर्द्ध विक्षिप्तता हुनर मान ली गयी है तब से उसकी चुनौतिया भी बढ़ी हैं। दोस्तों या परिवार के बीच खुद को मूर्ख साबित करना कोई मुश्किल नहीं है। मगर असल चुनौती तब है जब आपका लक्ष्य एक राष्ट्र या उसके बढ़कर एक महाराष्ट्र हो!
जिस गुंडई और अंट-शंट बयानबाज़ी को चंचल बाला ठाकरे अपनी सबसे बड़ी ताकत समझते थे, उन्हीं के पुराने इंटर्न ने उसका बार रेज़ कर दिया है। और जैसा कि हर जीनियस से उम्मीद की जाती है कि वो हर बदलते समय में खुद को साबित करे। जैसे सचिन,अमिताभ और फेडरर कर रहे हैं। ठीक उसी तरह चंचल बाला ठाकरे भी कर रहे हैं। तभी तो विधानसभा चुनाव हारते ही पहले उन्होंने ईश्वर से विश्वास उठाया। महाराष्ट्र की जनता को कोसा। फिर मुकेश अंबानी को लताड़ा। सचिन तेंदुलकर को लपेटा। शाहरूख-आमिर को घसीटा। राहुल गांधी को धमकाया। और ये सब कर वो खाज ठाकरे जैसे छुटभैया बदतमीज़ों को बता रहे हैं कि बेलगाम बयानबाज़ी के असली बादशाह आज भी वहीं है।
सम्बोधित भले ही वो आमिर-शाहरूख-अंबानी को कर रहे हैं, मुखातिब तो वो खाज ठाकरे से ही हैं। आतंकवादियों के पास जैसे हिट लिस्ट रहती है, ठाकरे साहब के हाथ में सेलिब्रिटी लिस्ट है। सावधान!
शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010
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10 टिप्पणियां:
इस उम्र में वैसे इतना गुस्सा ठीक नहीं है .खामखां दिल पे जोर पड़ गया तो .....
कोई ग्वालियर जैसी सुविधा मुम्बई में नहीं है क्या ......
मेरा मतलब है आगरा या ग्वालियर जैसी
शिवसेना का नाम धमकी गैंग होना चाहिए..
SAHI KAHA JI...EKDAM SAHI...
जब से अर्द्ध विक्षिप्तता हुनर मान ली गयी है तब से उसकी चुनौतिया भी बढ़ी हैं।
:-)
बी एस पाबला
bhai aaj ki bhagam bhag jindagi me..thora bahut hasi majak aur nautanki wale na ho jiwan niras ho jata hai..thakre pariwar wahi nautanki wale hai..bich bich me logo ka maonranjan karte rahte hai .
ठाकरे और ठीकरा का अन्योन्याश्रेय संबंध है। ये किसी ना किसी पर ठीकरा फोड़ते ही रहते हैं, लेकिन सच कहा आपने कि जब से अर्द्ध विक्षिप्तता हुनर मान ली गई है तब से चुनौतियां भी बढ़ी हैं। यही चुनौतियां ठाकरों को ठीकरे फोड़ने पर मजबूर कर रही हैं। ये ना जातिवादी हैं ना राष्ट्रवादी और ना ही क्षेत्रवादी। ये टापूवादी हैं। मुंबई इनका टापू है और भारत से अलग है।
उम्रदराज़ होने पर यूं ही होता है...
भाई क्यों किसी की रोजी रोटी पर व्यंग्य कर रहे हो ।
वो तो बेचारे सीधे सादे नेता हैं जो बस अपने कर्तव्य का निर्वाह कर रहे हैं ।
यह ऐसा हैं जैसे कोई कोई कुत्ते को कहे कि भौंक क्यों रहे हो
अगर आपका ऐसा " गैर जिम्मेदाराना " रवैया जारी रहेगा तो सेलेब्रिटी लिस्ट में आपका भी नाम होगा .
हा हा हा
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