शनिवार, 8 नवंबर 2008

लोमड़ी की संवेदनशीलता!

एंकर बता रही है कि भागती-दौड़ती और तनाव भरी ज़िंदगी में अगर हंसने-हंसाने के दो पल मिल जाएं तो क्या कहने। आपके इसी तनाव और थकान को दूर करने के लिए देखते हैं कॉमेडी का कॉकटेल।
मतलब हमारा धंधा तो ख़बर दिखाना है मगर आपकी तकलीफ दूर करने के लिए हम 'आउट ऑफ वे' जा कर आपको हंसाएंगे। वाह! इसे कहते हैं 'लोमड़ी की संवेदनशीलता'। ऐसा संवेदनशील इंसान दुनिया भर का बोझ उठाने को तैयार रहता है। वो किसी को कुछ नहीं करने देता। पडोसी खाना खा कर उठता है तो ये आवाज लगाता है भाईसाहब रुको झूठी प्लेट सिंक में रख देता हूं। मकसद पडोसी की मदद करना नहीं उसकी बीवी पर लाइन मारना है।
इसमें दो राय नहीं की तनाव भरी ज़िंदगी में हंसने की ज़रुरत होती है। मगर उस तनाव के दर्शन तो कराओ। क्या जीवन का तनाव ये है कि तमाम बदतमीज़ियों की बावजूद संभावना सेठ राखी सावंत नहीं बन पा रही। नॉमीनेट होने के बाद पायल बिकनी पहन स्विमिंग पूल में कूद पड़ी। या फिर शरलीन चोपडा ने थर्रटी सिक्स-ट्वेंटी फोर-थर्रटी सिक्स के में जो फोर-सिक्स की कमी थी उसे दूर करने के लिए कॉस्मेटिक सर्जरी करा ली। कम से कम चैनल की खिड़की से जो दुनिया का जो तनाव दिखता है वो यही है।
मैं सोचता हूं फूहड़ हो जाने के लिए 'आपका तनाव' कितनी खूबसूरत दलील है। आप जो कूड़ा चैनल पर देख रहे हैं वो इसलिए क्योंकि आप तनाव में है। और ये कूड़ा देखकर अगर आप और तनाव में आ गए हैं तो हम कहेंगे आप ग़लत जगह राहत ढूंढ रहे हैं। टीवी बंद कर दीजिए। अक्लमंदों के लिए यहां कोई आरक्षण नहीं है।
आप इंतज़ार कीजिए। कुछ वक़्त बाद ऐसा भी होगा। रात दस बजे चैनल 'जनहित में धुंधला' कर एक नीली फिल्म दिखाएगा। बिना एडिटिंग के घंटे भर फिल्म चलेगी। फिर एंकर कहेगा देखो क्या हो गया है हमारे बच्चों को। क्या-कुछ चल रहा है समाज में। खैर, गिरते नैतिक मूल्यों पर बात करने के लिए हमारे साथ स्टूडियों में मौजूद हैं........।
ये सब हो तो आप चैनल को दोष मत देना। उसकी संवेदनशीलता को समझना। आख़िर बात तो वो समस्या पर कर रहे है। ये तो टीवी की मजबूरी है कि बिना दृश्य के यहां बात स्थापित नहीं होती इसलिए 'मजबूरी' में थोड़ा-बहुत दिखाना पड़ता हैं। मगर उनका इरादा तो नेक है। अब फिर से आप ये मत कहना समस्या तो फूहड हो जाने की दलील है और मजबूरी की कोई भी दलील कितनी भी सक्षम क्यों न हो वो वेश्वावृति की इजाज़त नहीं देती।

4 टिप्‍पणियां:

Vivek Gupta ने कहा…

"अक्लमंदों के लिए यहां कोई आरक्षण नहीं है।" १०० टके की बात |

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत संवेदनशील चैनल हैं भाई. नतमस्तक हो लिए हम तो.

सतीश पंचम ने कहा…

ऐसे चैनल ज्यादा दिनों तक शायद न टिक पायें....लोग अब इनसे आजिज आ चुके हैं।

Fighter Jet ने कहा…

bilkul satik....aaj kal ~"AAJ TAK" jasie chanel walo ke yahi news ban gaya hai..kaun kis serial me kya kar rah hai..kiska kisase chakker etc...bus news nahi hota baki sub hota hai...