संस्कार कहते हैं कि नये साल पर सबको शुभकामना दूं। तर्क पूछता है - ज़रुरत क्या है ? कौन मरा जा रहा है तुम्हारी शुभकामना के लिए। बहुत साल हो गये मुबारक हो, मुबारक हो का ढोंग करते। सब जान गये हैं कि ऐसा करने में सिवाय वक़्त की बर्बादी के कुछ नहीं होता। चेहरे पर बनावटी मुस्कान लाओ और फिर बिना किसी ख़ास उत्साह के बोल दो, भाईसाहब नया साल मुबारक हो। क्या बेहूदगी है।
देखो आईटीओ की रेड लाइट.....गर्दन घुमाओ..... चारों तरफ गाड़ियां ही गाड़ियां.... सुबह के पौने दस बजे हैं....दस बजे ऑफिस पहुंचना है....दस किलोमीटर का सफर बाकी है.....ये हाल पांच साल पहले भी था...बीते साल भी रहा और इस साल भी रहेगा। तुम ही बताओ बंधु..... ऐसे में क्या करेगी मेरी शुभकामना.....ज़्यादा से ज़्यादा वो तुम्हें दो-तीन गाड़ियों से आगे ले जायेगी। मगर फिर....फिर तुम अटक जाओगे।
आओ ज़रा रेलवे स्टेशन चलें.....देखो ....लगता है मानो पूरा दिल्ली आज शहर छोड़ कर जा रहा है। हिम्मत करो... आगे आओ... लाइन में लगो....मैं जानता हूं तुम सोच रहे हो कि जिस गति से लाइन आगे बढ़ रही है तुम्हारी आधी छुट्टियां यहीं बीत जाएंगी। ऐसा नहीं है प्रिय....हौसला रखो ऐसे वक़्त नये साल की मेरी शुभकामना तुम्हारे 'कुछ काम' आएगी। मगर ये उम्मीद मत करना ये शुभकामना तुम्हें एक झटके में आगे खिड़की के पास पहुंचा देगी। शुभकामना की भी अपनी सीमाएं होती है।
देखो प्रिय टीवी पर मैच आ रहा है....मोहम्मद कैफ बैटिंग के लिए तैयार ..उससे भी ज़्यादा आऊट होने के लिए। दूसरी तरफ ब्रेट ली ने रन अप लेना शुरु किया....वो भागता आ रहा....चेहरे पर गुस्सा...आखों में आग....वो अंपायर के पास पहुंचा और ......बस प्रिय बस...... टीवी बंद कर दो...इससे आगे तुम नहीं देख पाओगे। मैं जानता हूं तुम उच्च दर्जे के आशावादी हो। सोचते हो कि तुम्हारी शुभकामनाएं कैफ के साथ हैं, वो ज़रूर कुछ करेगा। मगर ये मत भूलो.... ब्रेट ली को भी उसके देश में बीस-पचास ने शुभकामनाएं दी होगी। लिहाज़ा, शुभकामना, शुभकामना से कट गयी। अब इनके बीच प्रतिभा का मुकाबला होगा और तुम जानते हो अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा ?
चार महीनों में फिर गर्मी आ जायेगी और बिजली चली जायेगी। सुबह, दोपहर, शाम चार-चार घंटे बिजली का कट लगेगा। मगर तुम मत घबराना। चार घंटे के एक कट की ज़िम्मेदारी मेरी। उसे मेरी शुभकामनाएं सम्भाल लेंगी। शेष आठ घंटों के लिए एक अच्छा इनवर्टर ले लेना। कम्पनी का महंगा लगे, तो देसी खरीद लेना, और देसी वाला नकली न निकले इसके लिए मैं तुम्हें अलग से शुभकामनाएं दे देता हूं।
मगर फिर मैं कहूंगा ज़रूरत है कि तुम और मैं रियलिस्टिक हो जाएं। आख़िर एक अदद शुभकामना को तुम कहां-कहां एडजस्ट करोगे। ट्रैफिक से निकल गये और ट्रेन का टिकट ले भी पाये तो क्या गारंटी है कि तुम्हें जहां जाना है वहां पहुंच जाओगे ?
डियर, मैं कहता हूं हमारे देश के सर्कसों में मौत के कुएं में मोटरसाइकिल चलाने का खेल अब बंद कर देना चाहिये। इस देश का हर बंदा चाहे वो सड़क पर गाड़ी चला रहा हो, या किसी गाड़ी में सफर कर रहा हो.... वो एक तरीके से मौत के कुएं मे गाड़ी ही चला रहा है। सड़क किनारे पुलिस के पकड़ में आये हर शख़्स को गौर से देखो, वो रस्सी पर चलने का करतब ही दिखा रहा है। गिरता-पड़ता.....जैसे-तैसे खुद को सम्भाले है।
प्रिय, मेरी समझ से वक्त आ गया है कि हम शुभकामनाएं देना बंद कर दें। ख़ास तौर पर नये साल की शुभकामनओं पर तो सख़्त पाबंदी लगनी चाहिये। पुलिस को निर्देश दिया जाये कि कोई भी शुभकामना देता पाया जाये तो उसे पकड़ कर हवालात में बंद कर दो। बहुत हो गई ये बेवकूफी। नाओ इट हैज़ टू स्टॉप!
दोस्तों, शुरू से लेकर अब तक जो पूरा गीत मैंने गाया है उसका मतलब ये कतई न निकाला जाये कि मैं शुभकामनाओं की इफैक्टिवनेस पर सवाल उठा रहा हूं। मेरी आपत्ति व्यक्तिगत शुभकामनाओं को लेकर है। आम आदमी जिसके पल्ले कुछ नहीं है उसे विश करने से रोका जाये। अगर शुभकामनाएं दी ही जानी है तो मेरा मानना है कि वो विभागीय हो और वो शुभकामना के रुप में नहीं आश्वासन के रुप में होनी चाहिये।
मसलन....साल के शुरू में विद्युत विभाग जनसाधारण के लिए अख़बार में विज्ञापन के ज़रिये ये आश्वासन दे कि आप विश्वास कीजिये कि इस साल हम अपनी मूर्खता के चलते आपको परेशान नहीं होने देंगे। हम सरकार पर दबाव डालेंगे कि जिस वितरण केन्द्र के अंतर्गत जितने इलाके पड़े हर जगह के लिए कम से कम 10 घंटे बिजली सप्लाई ज़रूर की जाये !
जल बोर्ड भरोसा दे कि हम आपको पहले से बता देंगे कि कब-कब पानी आयेगा, कब-कब साफ आयेगा और कब-कब सीवर लाइन मिक्स आयेगा। ताकि आम आदमी को कोई कष्ट न हो।
हर थाने का पुलिस अधीक्षक साल के शुरू में महिलाओं और लड़कियों को साफ-साफ बता दे कि कृपया इस-इस तारीख़ को इतने बजे से इतने बजे के बीच फलां जगह से न गुज़रे क्योंकि उस दिन हमारे आदमी ड्यूटी पर नहीं होंगे और उनकी जगह हमारे दूसरे स्टाफ मैम्बर, जिनमें बलात्कारी और चोर-लुटेरे शामिल हैं, वहां तैनात रहेंगे।
बस दोस्तों, मेरी यही सबसे गुज़ारिश है कि समस्यों से केस लड़ते हर शख़्स के लिए दूसरे की शुभकामना एक कमज़ोर दलील से ज़्यादा कुछ नहीं। ज़रुरत है कि वो लोग हमें भरोसा दिलायें जो मायने रखते हैं। मुझे उम्मीद है इस साल वो हमें भरोसा ज़रूर दिलायेंगे....और इस बात पर मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
नीरज बधवार
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3 टिप्पणियां:
विचारपरक व्यंग्य और शुभकामनाएं-२००९
शुभकामनाए देने वाला था.. पर अब तो डर लग रहा है..
meri subh kamnaye :) aapki icha is saal puri ho :))
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