शनिवार, 21 मार्च 2009

कहानी कामवाली की! (हास्य-व्यंग्य)




भारतीय लड़कियों को जीवन में दो लोगों की शिद्दत से तलाश रहती है। शादी से पहले अच्छे पति की और शादी के बाद अच्छी काम वाली की। अच्छा पति अगर ज़्यादा अच्छा हो तो वो लड़की को दूसरी तलाश से बचा भी सकता है। मैं चूंकि उतना अच्छा नहीं हूं लिहाज़ा मेरी बीवी की दूसरी तलाश अब भी जारी है।


पिछले एक साल में न जाने कितनी कामवालियां आईं, कितनी गईं और कितनी निकाली गईं मगर बात नहीं बनी। हर किसी के साथ अलग रंग और डिज़ाइन की समस्या है। कोई सूरज की परछाई से समय का अंदाज़ा लगाती है और देर से पहुंचती है, किसी की मान्यता है कि काम किया नहीं निपटाया जाता है, कोई संगीत प्रेम के चलते नित-नया सामान तोड़ विभिन्न ध्वनियों का आनंद लेती है, तो कोई हाव-भाव से पहले दिन ही बता देती है कि सवारी अपने सामान की खुद ज़िम्मेदार है। वहीं कुछ ऐसी भी हैं जिनकी दिलचस्पी काम में कम और कलंक कथाएं सुनाने में ज़्यादा रहती है और बकौल बीवी इंट्रेस्ट न लेने पर वो हर्ट भी हो जाती है।


लेकिन जो शह कामवालियों को डैडली बनाती है वो है उनका बिना बताए छुट्टी लेना। सुबह के सात बजे हैं। बीवी की दाईं आंख फड़क रही है। मैं कहता हूं लगता है कुछ बुरा होने वाला है। वो कहती है कि शादी को तो एक साल हो गया फिर आज क्यों फड़क रही है। मैं चुटकी लेता हूं, क्योंकि तब मेरी फड़क रही थी।


इस बीच घड़ी नौ बजाने लगती है। अख़बार वाला, कचरे वाला, दूध वाला एक-एक कर ‘सब वाले’ आ चुके हैं मगर ‘उस वाली’ का कोई पता नहीं। फड़कती आंख को वजह मिल गई है। धड़कने बढ़ने लगी है। बीवी टूटने लगी है। मैं सहम गया हूं। रसोई में पड़े बर्तन कोरस में नीरज...नीरज चिल्ला रहे हैं। दस बज चुके हैं। अब वो नहीं आएगी। इस हफ्ते दूसरी और महीने में उसकी पांचवी छुट्टी है। बीवी ने उसे वीआरएस देने का मन बना लिया है। वो आत्मविश्वास खोने लगी है। सोचने लगी है कि शायद उसी में कोई खोट है जिस वजह से कोई काम वाली टिकती नहीं। आंशिक सहमति के बावजूद मैं इसे बुरा ख़्याल बताता हूं। समझ नहीं पा रहा हूं क्या किया जाए। अगली कामवाली से बीवी की जन्मपत्री मिलवाऊं, दोनों को कोई नग पहनाऊं, हवन करवाऊं, लाल रंग के कुत्ते को ग्रिल्ड सैंडविच खिलाऊं या फिर हरी ईंट पर गुलाबी दिया जलाऊं।


कभी-कभी तो मुझे ये भी लगता है इस सबके लिए मैं ही दोषी हूं। शादी के शुरू में मैंने ही इतने हाई स्टैंडर्ड सैट कर दिए जिसका शिकार ये सब कामवालियां हो रही हैं।

7 टिप्‍पणियां:

आलोक सिंह ने कहा…

बहुत अच्छा व्यंग लिखा
हमें तो लगता है अब आपको अगली कामवाली से बीवी की कुंडली मिलवानी ही पड़ेगी अगर फिर भी काम न बने तो कोई नग पहनाके देखिये ,लगे हाथ हवन तो करवा ही दीजिये क्या पता किसी बुरी आत्मा का साया तो नहीं है .

सागर नाहर ने कहा…

ठहरिये नीरजजी
नैनो को आने दीजिये बाद में बकौल कीर्तीश कुमार (कार्टूनिस्ट) महरियां नये बनाया करेंगी कि आज उनकी कार पंक्चर हो गई थी।
:)

अनिल कान्त ने कहा…

भाई ये भी एक बहुत बड़ा दर्द है :) :)

mehek ने कहा…

ha ha bahut badhiya:)

रवि रतलामी ने कहा…

"...भारतीय लड़कियों को जीवन में दो लोगों की शिद्दत से तलाश रहती है। शादी से पहले अच्छे पति की और शादी के बाद अच्छी काम वाली की। ..."

खूब :) और, शादी के बाद की ये खोज ताउम्र जारी रहती है क्योंकि अच्छी कामवाली तो कभी मिलती ही नहीं है...

कुश ने कहा…

:) :) :) waah neeraj bhai.. kya door ki goti pakdi hai.. hamesha ki tarah lajwaab..

विजय वडनेरे ने कहा…

रविजी की टिप्पणी के आगे....

...और जो पति शादी के पहले "अच्छा" हुआ करता था, समय के साथ उसका "अच्छापन" चुकने लगता है....