सोमवार, 18 जनवरी 2010

जिसके आगे न, पीछे ना! (हास्य-व्यंग्य)

टीवी खोलते ही जिस चैनल पर मैं रूकता हूं वो हरिद्वार से सीधी तस्वीरें दिखा रहा है। हड्डियां कंपा देने वाली ठंड में लोग पवित्र स्नान कर रहे हैं। एंकर बताती है कि सुबह चार बजे से ही यहां स्नान करने वालों का तांता लगा है। देश भर से लाखों लोग पवित्र स्नान करने पहुंचे हैं। मैं सोचता हूं कि इस जानलेवा सर्दी में मेरी बिस्तर से निकल कर बाथरूम में जाने की हिम्मत नहीं और ये लोग नहाने के लिए हरिद्वार चले गए हैं! ये देख हरिद्वार से तीन सौ किलोमीटर दूर मुझे अपने घर में ठंड लगने लगी है। मैं मंकी कैप पहन लेता हूं। मुझे चैनल पर गुस्सा आता है। वो बिना किसी पूर्व चेतावनी के ये सब दिखा रहा है। न स्क्रीन पर लिखा आ रहा है और न एंकर आगाह कर रही है कि कृप्या कमज़ोर दिल वाले न देखें, तस्वीरें आपको विचलित कर सकती हैं। अक्षय कुमार के विज्ञापन की तरह कहीं लिखा भी नहीं आ रहा है कि यह स्टंट (नहाने का) पेशेवर लोगों की तरफ से किया गया है कृप्या, इसे घर में आज़माने की कोशिश न करें!

जिस तरह भूत-प्रेत से डरने वाले हॉरर फिल्म देखना तो दूर कोई भूतिया किस्सा भी सुनना नहीं चाहते, उसी तरह मुझ जैसों के लिए ये तस्वीरें हॉरर फिल्म की तरह है, जबकि मैं तो किसी के नहाने का कोई किस्सा तक सुनना नहीं चाहता। लोग मोक्ष की खातिर नहा रहे हैं, मुझे डर है कि कहीं उन्हें जीवन से ही मुक्ति न मिल जाए। इस बीच चैनल के टिकर पर लिखा आता है कि उत्तर भारत में ठंड से मरने वालों की तादाद चार सौ के पार पहुंची। मैं जानना चाहता हूं कि इनमें से कितनों की जान सर्दी में नहाने के दौरान गई है।

खैर, तभी टीवी पर पंडित जी प्रकट होते हैं। वो बताते हैं कि आज सूर्यग्रहण लग रहा है। ग्रहण की तीनों अवस्थाओं-स्पर्श काल, मध्य काल और मोक्ष काल के दौरान आप ज़रूर नहाएं। मतलब, तीन घंटे के ग्रहण के दौरान तीन बार नहाएं। मेरी याददाश्त पर अगर न नहाने के कारण धूल नहीं जमी तो मुझे नहीं लगता कि मैं कभी पूरी सर्दी में भी तीन बार नहाया हूं। मेरे लिए तो कुंभ और नहाने में एक ही समानता है। वो है दोनों का बारह वर्ष बाद आना। मगर पंडित चाहते हैं कि मैं तीन घंटे में ही छत्तीस साल का कोटा पूरा कर लूं। जिस शब्द के पहने ‘न’ है और बाद में ‘ना’, मैं नहीं जानता, उस पर ‘हां’ करवाने के लिए ये दुनिया क्यों तुली हुई है! नहाना!

9 टिप्‍पणियां:

मधुकर राजपूत ने कहा…

बहुत बढ़िया भाईसाब, नहाने के पीछे नहाकर पड़े हो।

Naimitya Sharma ने कहा…

badiya likha ha neeraj ji...lekin ek baat to shasvat stya hai...nahaane ke baad thand kam kagti hai ! koshish kar hi lijiye aaj...maza aa jayega !!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

रोचक लगा !

सागर ने कहा…

kal hindustan mein padhi...

very interesting...

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

आपकी चिन्‍ता जायज है, पता नहीं लोग ऐसी ठण्‍ड में कैसे डुबकी लगा रहे हैं। उन्‍हें देखकर कपकपी छूट जाती है। अच्‍छा व्‍यंग्‍य है, बधाई।

मधुकर राजपूत ने कहा…

जे ब्बात.....साब्बास...अपने भाई ने क्रांति फैला दी, चीन में हिंदी का विस्तार आप ही करेंगे। ये हिंदी झुकाव ही है कि कोई चीनी भाई हिंदी भाई की हिंदी पोस्ट पर चीनी में कमेंट चेप कर गया है। समझ आ जाए तो हमें भई बताना।

रंजना ने कहा…

Ha ha ha ha.....majedaar !!!

Sachmuch pata karwana chahiye ki thand se marne walon me kitne nahane ke case hain....

कुश ने कहा…

आप भी कहाँ नहाने की बात करने लगे.. लगता है अब मुझे मंकी कैप पहननी पड़ेगी..

Telkom University ने कहा…

How do you feel about television channels broadcasting live footage of people taking a holy dip in the freezing cold at Haridwar without any prior warning or disclaimer?Telkom University