रास्ते से गुज़रते हुए मेरी नज़र एक होर्डिंग पर पड़ती है। बीजेपी के नेता पराजय कुमार मल्होत्रा की तस्वीर लगी है। साथ में लिखा है, दिल्ली को पहला फ्लाइओवर देने वाले। मन श्रद्धा से भर गया। अचानक मैं खुद को ऋणी मानने लगा। घर गया तो रात भर नींद नहीं आई। बेचैनी देख बीवी ने पूछा-क्या हुआ? मैंने कहा-कैसे चुकाऊंगा मैं ये कर्ज? बीवी तपाक से बोली-कमेटी डालकर। अगले महीने लाख वाली कमेटी डाल लेंगे। जब ठीक लगेगा तब उठा कर दे देंगे। घबराते क्यों हो।
बीवी सो गयी। मगर मैं रात भर जागता रहा। मन में विचार आया कितनी निकम्मी निकली कोलम्बस की पुश्तें। क्या उसके खानदान में एक भी शख्स ऐसा नहीं हुआ जो अमेरिकियों को याद दिला सके कि अहसान मानो हमारा... इस देश की खोज हमारे बाप के बाप ने की थी। क्या डेमोक्रेट या रिपब्लिकन्स किसी के ज़हन में ये बात नहीं आई कि कोलम्बस के खानदान से किसी को पार्टी में लाया जाए। लोगो को बताया जाए कि इस देश पर राज करने का अगर किसी का सहज और पहला हक़ बनता है तो इनका। लिहाज़ा अपने मत को ईएमआई मानें और आपके प्रति इनके महान कर्ज़ की छोटी-सी किस्त अदा करे।
सोचिए ज़रा श्री मल्होत्रा या ऐसा कोई और अमेरिका में होता और कोलम्बस के खानादान से ताल्लुक रखता तो क्या वो ये बात देश को इतनी आसानी से भूल जाने देता। क्या नज़ारा होता। अमेरिका में भी होर्डिंग लगे हैं-स्टूअर्ट कोलम्बस-जिनके दादा जी ने अमेरिका की खोज की। सामने वाले उम्मीदवार की दावेदारी तो इसी आधार पर खारिज हो जाती कि तुम तो उस बिरादरी से हो जो बहुत बाद में अमेरिका में बसी।
इस मामले में मेरी शिकायत इतिहासकारों से भी है जिन्होंने ये बात फैलाई कि कोलम्बस निकले तो भारत की खोज करने थे मगर अमेरिका ढूंढ बैठे। इस एक जानकारी ने उस महान खोज को उपलब्धि न मान ‘दुर्घटना’ में तब्दील कर दिया (यह बात अलग है कि उस दुर्घटना का शिकार आज तक पूरी दुनिया हो रही है)। मगर हम इस बात के लिए संघर्ष करते कि नहीं ये सब झूठ है। हमारे दादा तो निकले ही अमेरिका की खोज करने थे। उनका तो बचपन से सपना था अमेरिका खोजना और अब जब अमेरिका मिल गया है तो भगवान के लिए हमे इसे अपने हिसाब से चलाने दें। दादा जी की विरासत से छेड़छाड़ न करें।
वक्त आ गया है कि अमेरिका भी भारत की तरफ देखे। हम दसियों साल बाद भी लोगों को ‘पहला फ्लाइओवर बनाने वाले’ नहीं भूलने देते और तुम्हारी एक बिरादरी ने स्साला ‘देश खोज लेने’ की उपलब्धि भुला दी। लानत है।
शनिवार, 15 नवंबर 2008
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5 टिप्पणियां:
पहले तो आपने उन्हें मौका नहीं दिया दूसरा फ्लाईओवर बनाने का, अशीला जी को गद्दी पर बिठा दिया, अब उन्हें अपने इकलौते फ्लाईओवर की याद भी नहीं दिलाने देंगे. यह तो सरासर अन्याय है.
खूब कहा नीरज भाई... ऐसे होर्डिंगो से रोज़ कही ना कही मुलाकात हो जी जाती है
neeraj bhai,
mujhe lagtaa hai ki ye vyangya, are nahin bilkul satya, ghoshnaa patra mein chhapwaa diya jaaye, doodh kaa doodh aur pani ka pani ho jaayegaa. maja aa gaya.
वैसे शीला के नाम भी बताने के लिये बहुत कुछ है जैसे इसके बेटे ने सीलिंग से पहले ढेर सारी जगह खरीद ली और फिर सीलिंग के दौरान अन्धी कमाई की. दिल्ली वालों ने शीला से ज्यादा करप्ट कोई नेता नहीं देखा,
बतायेगा वो ही जिसके पास बताने के लिये कुछ होगा, जो ठनठन गोपाल होगा वो क्या बतायेगा?
जैसे मनमोहन से पूछो कि इत्ते साल मैडम की चमचागीरी के अलावा क्या किया तो कुछ भी जबाब देने को नहीं मिलेगा.
भारत आज चांद पर गया है तो सभी कांग्रेसी ताली फटकार रहे हैं लेकिन इसके लिये फंड सेंक्शन किसने किया़? याद है बाजपेयी का लालकिले पर चांद तक उपग्रह भेजने का वायदा?
व्यंग्य लिखें ठीक है, लेकिन आपका विजय कुमार मल्होत्रा को पराजय कुमार कहना आपकी घटिया मानसिकता को बताता है.
रही बात रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स की तो आप कभी इनके चुनावी भाषण भी सुनिये, न माने तो यहां मांगिये, नेट के लिंक भेज दूंगा.
bhai bahut khub....
bauhut accjha aur satik likha hai..shila ho vijya...kya fark parta hai..chor chor mausre bhai.. :)
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