इतिहास इस बारे में कोई सबूत नहीं देता कि आज़ादी की लड़ाई में एड एजेंसीज़ की मदद ली गई या नेताओं ने बात को प्रभावी ढंग से रखने के लिए किसी फ्रीलांस राइटर से स्लोगन लिखवाया। मतलब जो नारे उस वक़्त दिए गए वो नेताओं की अपनी क्रिएटिविटी थी। उसमें कोई ‘बाहरी हाथ’ नहीं था।
मुझे भी नहीं लगता कि सुभाष चंद्र बोस ने नेहरू पर स्कोर करने के लिए किसी परिचित बंगाली कवि से कहा हो कि यार, कोई ढंग का नारा बताओ। ये उन नेताओं के जज़्बे और प्रतिभा का ही प्रताप था कि जो उन्होंने कहा जनता ने उसे मूलमंत्र माना। आगे चल कर वो नारे इतिहास की किताबों का हिस्सा बनें और आने वाली पीढ़ियों ने जाना किस महापुरूष ने किस मौके पर क्या कहा।
मैं सोचता हूं जो वक़्त हम जी रहे हैं इसे भी कल इतिहास बनना है। इस दौरान जो भी ‘किया और कहा’ जा रहा है कल को उसकी भी चर्चा होगी और अगर ईमानदारी से इतिहास लिखा गया तो क्या पढ़ेंगें हमारे बच्चे?
26 नवम्बर 2008 को भारत पर आतंकी हमला। 200 लोग मरे, 400 घायल। महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने कहा, बड़े-बड़े शहरों में ऐसी छोटी-मोटी घटनाएं होती रहती हैं। टीचर क्या जवाब देगी? बच्चों, श्री पाटिल मनोविज्ञान के भी अच्छे ज्ञाता थे। उन्हें लगता था कि अगर स्वीकार कर लिया गया कि ये एक बड़ा आतंकी हमला था तो लोगों को विश्वास टूटेगा।
मगर मैम उस वक़्त केरल के मुख्यमंत्री ने जो कहा उसका क्या मतलब था कि अगर मेजर संदीप शहीद नहीं होते तो उनके घर कुत्ता भी नहीं जाता। बच्चों, उनका ये बयान आज भी रहस्य का विषय बना हुआ है। इस बयान के बाद सरकार ने उनके कुछ नारको टेस्ट करवाए, जांच आयोग बने, कुत्तों ने धरने-प्रदर्शन किए, यहां तक कि अमेरिकी सैटेलाइट से उनके दिमाग का नक्शा भी मांगा गया, पर हाथ कुछ नहीं लगा।
लेकिन मैम कुछ और बयान पढ़कर लगता है कि लो कट जींस के साथ उस वक़्त मूर्खता भी फैशन में थी। क्या ऐसे बयान दे हर नेता खुद को फैशनेबल दिखाना चाहता था। नहीं बच्चों, अगर ऐसा होता तो उस वक़्त नेता बिंदी-लिपस्टिक लगाकर विरोध जताने का विरोध नहीं करते।
मैम उस वक़्त नारायण राणे नाम के एक नेता भी कांग्रेस के खिलाफ बोले थे...क्या वो आंतकी हमले के लिए अपनी पार्टी से नाराज़ थे?........नहीं बेटा, ऐसी बात नहीं है.......दरअसल वो खुद को मुख्यमंत्री न बनाए जाने से नाराज़ थे। तो मैम, क्या वो आतंकी हमलों के बाद से यही सोच रहे थे कि कब देशमुख हटें और मैं मुख्यमंत्री बनूं? ओह!....अब समझ आया आतंकी उसके बाद भी भारत पर लगातार हमले कैसे करते रहे!
मंगलवार, 9 दिसंबर 2008
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4 टिप्पणियां:
भविष्य के छात्र कैसे नाक कान काटेंगे-साफ नजर आ गया.
पिछली पोस्ट पर जब तक टिप्पणी देता नेट ही गायब हो गया. आज बताये दे रहा हूँ कि वो भी पढ़ ली थी. :)
"ओह!....अब समझ आया आतंकी उसके बाद भी भारत पर लगातार हमले कैसे करते रहे! "
इतिहास की झलक बिल्कुल सही है. नीरज जी, आपका लेखन हमेशा ही शानदार रहता है.
bhagwaan bhala is deash ka...
बहुत खूबसूरत तरीके से बात कही है। बधाई।
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