गजब मंजर है। चारों ओर लोग नैतिकता के टावरों से बंजी जम्पिंग कर रहे हैं। प्रतिस्पर्धा है तेज़ी से नीचे गिरने की। कर्तव्य की ज़मीन से भाग स्वार्थ के पैराशूट खोलने की। सालों से लोग सेफ लैंडिंग भी कर रहे हैं। और कभी-कभार जब रस्सी नहीं खुलती तो पता चलता है कि कोई माधुरी गुप्ता, जिसका काम तो भारत के लिए पाकिस्तान की जासूसी करना था मगर वो लगी पाकिस्तान के लिए भारत की जासूसी करने। रस्सी न खुलने पर रस्सा कस गया। अजब त्रासदी है। फॉरवर्ड टीम को बढ़त दिलवाने में लगे हैं और गोलची सेल्फ गोल कर रहा है!
अप्रेल के शुरू में दंतेवाड़ा में नक्सलियों से लड़ते हुए सीआरपीएफ के चौहत्तर जवान शहीद हुए थे और महीने के आख़िर में पता चला कि सीआरपीएफ के जवान ही अरसे से नक्सलियों को हथियार सप्लाई कर रहे थे। मैं सोचता हूं कि जिस दौर में भ्रष्टाचार ही राष्ट्रीय आचरण बन गया हो, वहां शहीदों को इससे बेहतर ‘विभागीय श्रद्धांजलि’ और भला क्या दी सकती थी!
संसद में इस मामले पर बहस होती रही कि सरकार खुफिया एजेंसियों के माध्यम से नेताओं के फोन टैप करवा रही है। फिर ख़बर आई कि अमेरिकी और ब्रिटिश एजेंसियों ने आगाह किया है कि दिल्ली के बाज़ारों में धमाके हो सकते हैं। कैसी विडम्बना है कि हमें अपने नेताओं पर भरोसा नहीं है और उन्हें हमारे बाज़ारों की फिक्र है। एसीएसयू प्रमुख पॉल कोन्डन ने दो हज़ार आठ में आईसीसी को चेताया था कि आईपीएल में बड़े पैमाने पर मैच फिक्सिंग हो सकती है और कैसा हसीन इत्तेफाक है कि आज मैच फिक्सिंग में हम खुद आइपीएल कमीश्नर के शामिल होने की बात कर रहे हैं!!! जिस-जिस स्तर पर और जितना गिरा जा सकता था, वहां-वहां हमने बोरवैल खोद लिए हैं। कुछ बचा नहीं है। गुनुदगी में जीने वाले देश को कुछ और नाचा-गाना सुनाओ। शुक्र है! इंडियन आइडल फाइव शुरू हो गया है।
शुक्रवार, 7 मई 2010
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8 टिप्पणियां:
सुबह अखबार में पढ़ लिया था तभी झकास बोल दिया था .....
जबरदस्त वाली बात है जी आज फिर!कम से कम शब्दों में अधिकतम प्रहार!
कुंवर जी,
मैंने सुबह ही इसे हिन्दुस्तान दैनिक में पढ़ लिया था, इसे यहां देखना और भी अच्छा लगा। लेकिन इसमें आपने रेफरेंस नहीं दिया है, यदि होता तो और अच्छा होता।
जब मौक़ा मिले, नैतिकता को आराम करने दिया जाता है
एक एक बात व्यंग्य , एक एक बात यथार्थ भी हैं । सच में हमारे गिरने का स्तर भी काफी गिर गया हैं और समस्या सुलझाने के लिए हमने बोरवेळ खोद लिए हैं ताकि गिरने में दिक्कत भी ना हो । बहुत अच्छी पोस्ट नीरज भाई ।
कैसी विडम्बना है कि हमें अपने नेताओं पर भरोसा नहीं है और उन्हें हमारे बाज़ारों की फिक्र है। मारक तंज है। बधाई।
प्रमोद ताम्बट
भोपाल
www.vyangya.blog.co.in
http://vyangyalok.blogspot.com
pata nahi kab in deemak aur cokroach se chutakar milega
गुनुदगी में जीने वाले देश को कुछ और नाचा-गाना सुनाओ। शुक्र है! इंडियन आइडल फाइव शुरू हो गया है।
सच कहा....यही उपाय है हमारे सामने दिल दिमाग को बिजी रखने के लिए..
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