ऐसे समय जब तमाम पार्टियां मुफ्त समर्थन की पेशकश कर भारतीय राजनीति को कलंकित कर रही थीं, करूणानिधि के लालच ने उसकी लाज बचा ली। ख़बर है कि कांग्रेस को अपेक्षित मंत्रालयों की जो पहली सूची उन्होंने सौंपी थी उसमें उनकी तीन बीवियों के तीस रिश्तेदारों के अलावा उनका ड्राइवर, खानसामा, चौकीदार, माली और आठ नौकरों के अलावा उनके भी आगे आठ सौ रिश्तेदारों के नाम थे। और आख़िर मे 'हो सके तो' शीर्षक के अंदर गुज़ारिश की गई थी कि ड्राइवर की दूसरी पत्नी के पहले पति की चौथी औलाद, माली के दत्तक पुत्र की गर्लफ्रेंड और चौकीदार की मुंह बोली बुआ के कान सुने पति को भी जगह मिल जाए, तो हमें खुशी होगी।
इसके बाद कांग्रेस ने जब ये समझाया कि अगर भारत, नेपाल और बांग्लादेश पर कब्ज़ा कर, वहां के मंत्रीमंडल को भी सरकार में शामिल कर ले, फिर भी ये मांग पूरी नहीं हो सकती, तब जा कर करूणानिधि के तेवर नरम पड़े और लम्बा खिंचा विवाद ख़त्म हुआ। मगर जिस तरह उनके अट्ठारह सौ उन्हतर रिश्तेदारों को मायूस होना पड़ा, उससे मैं भी काफी दुखी हूं। लिहाज़ा मैं सरकार से गुज़ारिश करता हूं कि आगे किसी और को यूं निराश न होना पड़े इसके लिए संविधान में कुछ संशोधन किए जाएं। जैसे-कांग्रेस ने सरकार गठन से पहले कहा था कि इस बार एक नेता, एक मंत्रालय की नीति अपनाई जाएगी। मेरा मानना है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को एडजस्ट करने के लिए एक मंत्रालय पर एक नहीं, एक सौ नेता की नीति बनाई जाए। जैसे राज्यों में गठबंधन सरकार की सूरत में आधे-आधे वक्त के लिए मुख्यमंत्री बनते हैं, उसी तरह केंद्रीय कैबिनेट में हफ्ते-हफ्ते के लिए मंत्री बनाए जाएं। काम तो वैसे भी नहीं होना, कम से कम सहयोगियों से रिश्ते तो अच्छे बने रहेंगे। और तो और कांग्रेस चाहे तो मिसाल कायम करने के लिए लालकृष्ण आडवाणी को भी एक हफ्ते के लिए प्रधानमंत्री बना सकती है।
इसके अलावा मंत्रालयों का विघटन कर उससे नए मंत्रालय बनाए जाएं। जैसे खेल मंत्रालय से खेल और कूद दो मंत्रालय बनाए जाएं। आधे लोग खेल और बाकी कूद मंत्रालय में शिफ्ट किए जाएं। इसी से जुड़े युवा मंत्रालय से भी शिशु, बालक, तरूण और युवा चार मंत्रालय बनाए जाएं। साथ ही हर मंत्रालय में राज्य मंत्रियों की संख्या भी देश के कुल राज्यों की संख्या के बराबर की जाए, इससे न सिर्फ लोग ठिकाने लगेंगे बल्कि समान क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व की समस्या भी दूर होगी। और इस सब के बावजूद हल न निकले तो मैं यही कहूंगा कि 'परिवार समायोजन' की समस्या पैदा न हो, इसलिए भावी नेता 'परिवार नियोजन' पर ज़रूर ध्यान दें!
शुक्रवार, 29 मई 2009
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4 टिप्पणियां:
Ha ha ha ha ......lajawaab niraj bhai,lajawaab !!
aanand aagaya padhkar.....
bahut hi badhiya vyangy kataksha kiya hai aapne...
ha ha ha ha :)
सही है ....वैसे भी हम भारतीय लोग edjustment के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं ..
वादा रहा कि यदि कभी प्रधान मंत्री बना तो तुम्हारा पी एम मुख्य सलाहकार का पद पक्का. कितनी अच्छी सलाह देते हो..कुछ लेते क्यूँ नहीं?? याने कोई पद वगैरह मांगो..मिले न मिले..सब मांग रहे हैं तो तुम भी मांगो. :)
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