नाम में क्या नहीं रखा!
जैसे ही नर्स डिलिवरी रूम से निकल ये बताती है कि ठाकुर साहब लड़का हुआ है, ठीक उसी समय इस सवाल की भी डिलिवरी हो जाती है कि बच्चे का नाम क्या रखा जाए? मौजूदा समय में बच्चे का नाम रखना उसे पैदा करने से भी कहीं बड़ी चुनौती है। मां-बाप चाहते हैं कि नाम कुछ ऐसा हो जो ‘डिफरेंट’ साउंड करे। सब्स्टेंस हो न हो, लेकिन स्टाइल होनी चाहिए। अर्थ में मात खा जाए, मगर अदा में खरा उतरे। फिर भले ही बच्चे को जीवन भर स्पष्टीकरण लेकर जेब में घूमना पड़े कि उसके नाम का मतलब क्या है? जब भी कोई पूछे कि बेटा आपके नाम का मतलब क्या है तो बच्चा पूछने वाले को बुकलेट थमा दे, ये पढ़ लीजिए, इसमें शब्द की उत्पत्ति से मेरी उत्पत्ति तक सब समझाया गया है।
ऐसी ही मुसीबत में कुछ दिनों से मेरा एक मित्र भी फंसा हुआ है। धरती पर बच्चे का पदार्पण हुए दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन बच्चा प्यारू, लड्डू, पुच्ची, गोलू, पपड़ू के बीच फंसा हुआ है। जिसकी ज़बान पर जो आता है वो पुकारता है। हर कोई उम्मीद करता है कि उसके पुकारे नाम पर बच्चा मुस्कुराए। उम्मीद करने वालों में भी ज़्यादातर वो हैं जो जीवन में दो मोबाइल नम्बर तक याद नहीं रख पाते और दो महीने के बच्चे से उम्मीद लगाए हैं कि वो पांच-पांच नाम याद रख ले!
इस सब पर ‘एक्सक्लूसिव’ नाम रखने की चाह ऐसी है कि जो नाम रखना है वो अपने रिश्तेदारों में तो दूर, पड़ौसियों तक के रिश्ते में किसी बच्चे का नहीं होना चाहिए। नेट से लेकर बच्चों के नाम सुझाने वाली कितनी ही किताबों की उन्होंने ख़ाक छानी, मगर नाम तय नहीं हुआ। एक-आध नाम जो उन्हें ठीक लगते वो बड़े-बुज़ुर्गों से पुकारे नहीं जाते और जो बड़े-बुज़ुर्ग सुझाते हैं वो पचास के दशक की ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों के हीरो पहले ही रख चुके हैं।
फिर किसी ने सुझाव भी दिया कि अगर हिंदू धर्म या हिंदी भाषा इसमें मदद नहीं कर रही तो बच्चे का कोई चाइनीज़ नाम रख दो इससे वो डिफरेंट साउंड भी करेगा और बच्चा जीवन भर सिर्फ अपने नाम की वजह से चर्चा का विषय रहेगा। जैसे हू जिंताओ, ब्रूस ली, चूस ली टाइप कुछ। या फिर किसी विदेशी नाम के साथ भारतीय नाम मिक्स कर रखा जाए। जैसे-सर्गेई सुरेंद्र, निकोलस नरेन्द्र या मैथ्यू महेंद्र....मगर दोस्त इस पर भी सहमत नहीं हुआ।
फिर बात आई कि एक ट्रेंड ये भी रहा है कि बच्चे के पैदा होने के समय जो फिल्म या हीरो हिट रहा हो, उसके नाम पर बच्चे का नाम रख दिया जाए। इस तरह बच्चे का नाम ‘रैंचो’ रखना चाहिए जो ‘थ्री इडियट्स’ में आमिर का था। मगर रैंचो तो उसका कच्चा नाम था उसका असली नाम फुन्सुख वांगड़ु था! मगर किसी की हिम्मत नहीं हुई जो दोस्त से पूछे कि वो अपने बेटे का नाम फुन्सुख वांगड़ु रख दे। एक ने कहा भी अगर आप इस तरह का एक्सपेरीमेंट करने के लिए तैयार हैं तो बच्चे का नाम ‘इब्नेब्तूता’ रख दें... इससे पहले की वो और कुछ कहता दोस्त की नज़र उस जूते पर पड़ी जो बगल में ही पड़ा था। ब्तूता के चक्कर में उसका भुर्ता न बन जाए, ये सोच सुझाव देने वाला चुप हो गया। जब किसी नाम पर सहमति नहीं बनी तो मैंने सुझाव दिया कि अगर ये काम वाकई इतना मुश्किल है तो हाल-फिलहाल बच्चे का नाम ‘स्थगित’ रख दो, जब बड़ा होगा तब खुद-ब-खुद अपना नाम रख लेगा। कम-से-कम कुछ फैंसी नाम न रख पाने के लिए तुम्हें कोसेगा तो नहीं! मित्र ने इसे भी हंस कर टाल दिया।
खैर, एक सुबह मैं क्या देखता हूं कि उसी मित्र का मेरे पास एसएमएस आया है, “हमारे प्यारे बेटे जिसका जन्म फलां-फलां तारीख को हुआ था, उसका नाम रखने के लिए हम आपकी मदद चाहते हैं। नीचे कुछ ऑप्शन दिए हैं। आप अपनी पंसद का नाम बता हमारी मदद करें। पोल एक हफ्ते तक चलेगा। नतीजे फलां तारीख़ को घोषित किए जाएंगे!” मित्र को जवाब दे मैं सोचने लगा …शेक्सपियर अगर आज ज़िंदा होते तो ये मैसेज मैं उन्हें ज़रूर फॉरवर्ड करता!
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8 टिप्पणियां:
बगले झांकना इन्ही हालातों मे होता होगा!!
'बेनामी' नाम कैसा रहेगा?? या फिर अंग्रेजी मिक्स करना हो तो एनानिमस शर्मा...टाईप??
मजेदार रहा यह नामकरण कटाक्ष!!
बहुत अच्छी बात उठाई आपने... इस दिनों यह चलन बना हुआ है... लोग जान बूझ कर कठिन नाम रखते हैं जो बेहतर साउंड करे... मेरे एक मित्र भी परेशां रहे.. रयान रखूं... या अपने नाम, और पत्नी के नाम का संधि... नेट से भी टंग ट्विस्टर खोजा. हद है.
"मैं अपने शब्द वापस लेता हूँ... "
सुबह सुबह शेक्सपियर का एस एम् एस आया था.. यही लिख रहा हूँ..
1,2,3,...कुछ भी रखा जा सकता है
maja aa jata hai apka lekh pad ke :)
बाद में तो ए जी, ओ जी ही रह जायेगा, अभी कैसा रहेगा??
बाद में तो ए जी, ओ जी ही रह जायेगा, अभी कैसा रहेगा??
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