सोमवार, 15 जून 2009

प्यार के साइड इफेक्ट्स!

कॉलेज चुनने को लेकर लड़कों के सामने एक सवाल यह भी होता है कि गर्लफ्रेंड किस कॉलेज में जा रही है। वो कौन-सा सब्जेक्ट ले रही है। अच्छे-भले पढ़ाकू भी प्यार में बेकाबू हो जाते हैं। बनना तो कलेक्टर चाहते थे, मगर दाखिला होम साइंस मे ले लिया। इस पर भी मज़ा ये कि जिस रुपमती के लिए करियर दांव पर लगा दिया, उसे कानों-कान इसकी ख़बर नहीं।


चार साल स्कूल में साथ गुज़ारे। कॉपियों के पीछे तीर वाला दिल बना उसका नाम लिखा। दोस्तों में उसे ‘तुम्हारी भाभी’ कहा। स्कूल में ही पढ़ने वाले ‘उसकी सहेली के भाई’ से दोस्ती की। उसी मास्टर से ट्यूशन पढ़ी जहां वो जाती थी। इस हसरत में कि घंटा और पास रहेंगे, बावजूद इसके बात करने की हिम्मत नहीं।

फिर एक रोज़ ‘प्रेम पत्रों के प्रेमचंद’ टाइप एक लड़के से लैटर लिखवाया। सोचा, आज दूं, कल दूं, स्कूल में दूं या बाहर दूं। डायरेक्ट दूं या सहेली के भाई से कूरियर करवाऊं जिससे इसी दिन के लिए दोस्ती गांठी थी। मगर किया कुछ नहीं। बटुए में पड़े-पड़े ख़त की स्याही फैल गई। पता जानने के बावजूद उसकी डिलीवरी नहीं हो पाई। वो पर्स में ही पड़ा रहा। और ये बेचारा बिना महबूब का नाम पुकारे हाथ फैलाए खड़ा रहा।


मगर अब कॉलेज में पहुंचे गए हैं। दोस्तों ने कहा रणनीति में बदलाव लाओ। रिश्ते की हालत सुधारना चाहते हो तो पहले अपना हुलिया सुधारो। दर्जी से पैंटें सिलवाना बंद करो, रेडीमेड लाओ। अपनी औकात भूल आप उनकी बात मानते हैं। बरबादी के जिस सफर पर आप निकले हैं उस राह में हाइवे आ चुका है। आप गाड़ी को चौथे गीयर में डालते हैं।

और इसी क्रम में आप गाड़ी के लिए बाप से झगड़ा करते हैं। वो कहते हैं कि बाइक की क्या ज़रुरत है? 623 कॉलेज के आगे उतारती है। इस ख़्याल से ही आप भन्ना जाते हैं। अगर उसने बस से उतरते देख लिया तब वो मेरे वर्तमान से अपने भविष्य का क्या अंदाज़ा लगाएगी। आप ज़िद्द करते हैं। मगर वो नहीं मानते। आप इस महान नतीजे पर पहुंचते हैं कि सैटिंग न होने की असली वजह मेरा बाप है। और ऐसा कर वो खुद को बाप साबित भी कर रहा है। इधर जिस लड़की के लिए आप बाप को पाप मान बैठे हैं उसे इस दीवाने की अब भी कोई ख़बर नहीं।


हो सकता है फिर एक रोज़ आपको लड़की के हाथ में अंगूठी दिखे और आप सोचें कि करियर की बेहतरी के लिए उसने पुखराज पहना है। पर सवाल ये है कि पुखराज ही पहना है तो सहेलियां उसे बधाई क्यों दे रही ह

10 टिप्‍पणियां:

अनिल कान्त ने कहा…

ha ha ha ha

Udan Tashtari ने कहा…

मस्त मजेदार. लगता है बहुत पुरानी पोस्ट फिर से ठेल गये मित्र. :)

Neeraj Badhwar ने कहा…

पहले सोच रहा था कि आपकी टिप्पणी हटा दूं...भंडाफोड़ करने के आरोप में...फिर सोचा...चलिए छोड़िए...

दरअसल...पिछली पोस्ट(आध्यात्मिक घटना), जो हाल ही में लिखी थी...और इसमें कनेक्टिविटी लगी इसलिए सोचा कि री-पेल दिया जाए। सो पेल दी।

कुश ने कहा…

bhande to hote hi hai footne ke liye... hum to waise aapke blog ki purani julfo ko gaahe bagaahe sehlaate rehte hai..

post to badhiya thi hi.. ab bhande ki tarah hum bhi foot lete hai..

Shiv ने कहा…

बहुत शानदार रहा यह यार के साइड इफेक्ट्स...सॉरी सॉरी प्यार के साइड इफेक्ट्स...हम तो फैन हैं आपके. समीर भैया की याददाश्त बढ़िया है इसलिए उन्हें पता है.

Nitish Raj ने कहा…

बहुत ही बढ़िया रहा अंत तो सर्वश्रेष्ठ। लगता है कि खुद पर बीती हर लड़के की दास्तां को पन्ने पर उड़ेल दिया है। चलो आपबीती नहीं कहता...पर रही खूब।

रंजना ने कहा…

Hamne तो pahlee बार padhee..... isliye हमारे लिए नयी ही रही और सही कहा आपने की pichhlee post की aglee kadi रूप में यह pooree safal है....

Lajawaab लिखते हैं आप ...sachmuch lajawaab...

Udan Tashtari ने कहा…

सॉरी!!!

इस तरह नहीं फोड़ना था. पूरी पोस्ट लिख मारना चाहिये था मुझे...हा हा!!

मधुकर राजपूत ने कहा…

आज आपसे ब्लॉगिंग में भी मुलाकात हो गई। हिन्दुस्तान दैनिक में पढ़ता हूं आपको। आज सारे पोस्ट बांच दिए हैं। कुछ तो हिन्दुस्तान में पहले भी पढ़ चुका हूं।

वीरेंद्र रावल ने कहा…

हा हा हा हा
मज़ेदार और धांसू पोस्ट के लिए धन्यवाद नीरज भाई